नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) द्वारा शून्यकाल के दौरान लोकसभा (Lok Sabha) में मनरेगा (MNREGA) को लेकर मोदी सरकार (Modi Government) पर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनरेगा को पारदर्शी और उपयोगी बनाने का काम किया है. आईएएनएस से खास बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि सोनिया गांधी आरोपों का बड़ा पुलिंदा लेकर आई थी, लेकिन यह खोदा पहाड़ निकली चुहिया जैसा ही निकल गया. UP चुनाव में मिले हार पर कांग्रेस नेता ने सोनिया गांधी को लिखा पत्र, कहा- प्रियंका से भी इस्तीफा लें
आईएएनएस से बात करते हुए गिरिराज सिंह ने कहा कि मनरेगा पर बात करने से पहले सोनिया गांधी को अपनी सरकार ( यूपीए ) के कार्यकाल को जरूर देख लेना चाहिए. मनरेगा पर खर्च हुए बजट को लेकर दावा करते हुए सिंह ने कहा कि 2013-14 ( मनमोहन सरकार के समय ) में मनरेगा का बजट कुल 33 हजार करोड़ रुपये था और 7 सालों के दौरान यूपीए सरकार का मनरेगा को लेकर कुल बजट 1.92 लाख हजार करोड़ रुपए था, जबकि सात सालों के दौरान मोदी सरकार ने मनरेगा पर 5 लाख करोड़ रुपए की राशि खर्च की है जो यूपीए सरकार की तुलना में कई गुना ज्यादा है.
यूपीए सरकार के दौरान मनरेगा में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने न केवल मनरेगा के बजट को कई गुना बढ़ाया, बल्कि इसके साथ ही सरकार इस पूरी योजना में पारदर्शिता भी लेकर आई है. उन्होंने कहा कि आज मजदूरों के खाते में सीधे पैसा भेजा जा रहा है, जियोटैगिंग हो रही है और साथ ही निगरानी भी हो रही है.
आईएएनएस से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि चूंकि सोनिया गांधी ने लोकसभा में यह मसला उठाया है, इसलिए वो विस्तार से उन्हें लिखित में भी जवाब भेजेंगे लेकिन इसके साथ ही उन्होंने पुरजोर तरीके से पिछली यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उस समय सरकार की नीतियों के कारण लोग मनरेगा का मजाक उड़ाते थे, लेकिन मोदी सरकार ने मनरेगा को व्यवस्थित कर लोगों के लिए उपयोगी बना दिया है.
आपको बता दें कि , गुरुवार को शून्यकाल के दौरान सोनिया गांधी ने मनरेगा को लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठाते हुए लोकसभा में यह आरोप लगाया था कि मनरेगा के लिए आवंटित बजट में लगातार कटौती की जा रही है, जिसके कारण काम मिलने और समय पर मजदूरी के भुगतान की कानूनी गारंटी कमजोर पड़ रही है. उन्होंने 2020 की तुलना में मनरेगा के बजट को 35 प्रतिशत कम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसी वर्ष 26 मार्च को, दूसरे सभी राज्यों ने इस योजना के तहत अपने खाते में नकारात्मक संतुलन दिखाया है, जिसमें कामगारों को भुगतान का लगभग 5,000 करोड़ रुपए बकाया है.
उन्होंने केंद्र सरकार से मनरेगा के लिए उचित बजट का आवंटन करने , काम के 15 दिनों के भीतर कामगारों को मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित करने और मजदूरी भुगतान में देरी की स्थिति में कानूनी तौर पर मुआवजे का भुगतान भी सुनिश्चित करने की मांग की.
सरकार की तरफ से केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में ही सोनिया गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया.