वित्त मंत्रीअरुण जेटली ने दिखाया RBI को आईना, कहा-अंधाधुंध लोन बांटने वाले बैंकों पर क्यों नहीं लगाया लगाम?
वित्त मंत्री अरुण जेटली (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली: केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को लेकर पिछले कुछ समय से वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच तल्खी बढ़ती जा रही हैं. ऐसी स्थिति में वित्त मंत्री अरुण जेटली नेआरबीआई को आईना दिखाते हुए एनपीए के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है. इसके साथ ही उन्होंने यह सवाल किया है कि साल 2008 से लेकर साल 2014 के बीच अंधाधुंध लोन देने वाले बैंकों पर आखिर आरबीआई ने लगाम क्यों नहीं लगाया. जेटली की मानें तोअंधाधुंध कर्ज देने वाले बैंकों पर अंकुश लगाने में आरबाई की नाकामी के चलते ही बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) का संकट बढ़ा है.

दरअसल, अरुण जेटली का यह बयान ऐसे समय में आया है जब केंद्रीय बैंक आजादी यानी स्वायत्तता के लिए पुरजोर तरीके से अपनी आवाज उठा रहा है. बता दें कि बीते शुक्रवार को ही आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल वी आचार्य ने कहा था कि केंद्रीय बैंक की आजादी की उपेक्षा करना बड़ा घातक हो सकता है. उन्होंने कहा था कि आरबीआई बैंकों के बही-खातों को दुरुस्त करने पर जोर दे रहा है. ऐसे में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बेहतर तरीके से नियमन, व्यापक स्तर पर वित्तीय और वृहत आर्थिक स्थिरता के लिए स्वतंंत्रता जरूरी है.

वहीं, अमेरिका-भारत रणनीतिक भागीदारी मंच द्वारा आयोजित इंडिया लीडरशिप समिट में जेटली ने कहा कि वैश्विक आर्थिक संकट के बाद अगर आप देखें तो साल 2008 से 2014 के बीच अर्थव्यवस्था को कृत्रिम रूप से आगे बढ़ाने के लिए बैंको को अंधाधुंध तरीके से लोन बांटने के लिए कहा गया, इस दौरान केंद्रीय बैंक की निगाह कहीं और थी और उसने इस पर लगाम नहीं लगाया.  उन्होंने यूपीए पर निशाना साधते हुए कहा कि उस वक्त की तत्कालीन सरकार बैंकों पर कर्ज देने के लिए जोर दे रही थी, जिससे महज एक साल में कर्ज में 31 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई, जबकि औसत वृद्धि 14 फीसदी थी. यह भी पढ़ें: राहुल गांधी का PM मोदी पर हमला: कहा- पहले नारा था 'अच्छे दिन आएंगे', अब नारा है 'चौकीदार चोर है'

बता दें किआरबीआई स्वायत्तता की मांग कर रहा है, जिसे लेकर कुछ समय से केंद्रीय बैंक और वित्त मंत्रायल के बीच तनातनी बरकरार है. हालांकि जेटली ने अपने संबोधन में आचार्य के भाषण या उनके मंत्रालय और आरबीआई के बीच कथित तनाव के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की और न ही किसी तरह का कोई बयान दिया है.

इस मौके पर जेटली ने कहा कि सुधार की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से राजस्व में उल्लेखनीय सुधार आया है. उन्होंने कहा कि मेरा अपना अनुमान है कि 2014 से 2019 के बीच हम राजस्व में करीब दोगुना सुधार कर लेंगे.

उन्होंने कहा कि साल 2014 में जब बीजेपी सरकार सत्ता में आयी थी तब आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या 3.8 करोड़ थी और महज चार साल में यह संख्या बढ़कर 6.8 करोड़ पर पहुंच गयी है. उन्होंने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के पहले साल में ही अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में 74 फीसदी तक इजाफा हुआ है.