गुजरात के दो पुलिसकर्मी फर्जी मुठभेड़ मामले में डिस्चार्ज

साल 2003 के सादिक जमाल फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी दो पुलिसकर्मियों को विशेष सीबीआई की अदालत ने दोषमुक्त कर दिया है.

गुजरात पुलिस (Photo Credits: ANI)

गांधीनगर, 25 नवंबर: साल 2003 के सादिक जमाल (Saadiq Jamaal)  फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी दो पुलिसकर्मियों को विशेष सीबीआई (CBI) की अदालत ने दोषमुक्त कर दिया है. मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे. कोर्ट ने मंगलवार को यह आदेश दिया कि पुलिस उप-निरीक्षक (एसआई) (SI) पी. एल. मवानी (PL Mavaani) और कांस्टेबल ए. एस. यादव (AS Yadav) ने अगस्त में सीबीआई अदालत में डिस्चार्ज अर्जी दाखिल की थी. अर्जी में कहा गया था कि सीबीआई ने मामले में उनकी संलिप्तता को गलत तरीके से चार्जशीट में पेश किया था.

कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-E-Taiba) के सदस्य जमाल पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और भाजपा (BJP) के शीर्ष नेताओं की हत्या की साजिश रचने का आरोप था. वह राज्य पुलिस द्वारा वांछित घोषित किया गया था. अहमदाबाद के नरोदा इलाके में 13 जनवरी, 2003 को सादिक की हत्या कर दी गई थी. सादिक के भाई सब्बीर जमाल (Sabbir Jamaal) के गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी.

यह भी पढ़े:  Three Lashkar-e-Taiba Terrorists Arrested: जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में लश्कर-ए-तैयबा के 3 संदिग्ध आतंकी गिरफ्तार.

सीबीआई न्यायाधीश बी.ए. दवे (BA Dove) ने मंगलवार को दोनों पुलिसकर्मियों को इस आधार पर डिस्चार्ज कर दिया कि मामले में उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं. आवेदकों ने प्रस्तुत किया था कि उन पर सीबीआई द्वारा झूठे आरोप लगाए गए थे.

सीबीआई ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर जांच शुरू करने के बाद आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें दावा किया गया था कि मामले में हुई मुठभेड़ साजिश के तहत रचित और पूर्व नियोजित थी. चार्जशीट में कहा गया कि सादिक को गैरकानूनी रूप से गुजरात पुलिस ने हिरासत में लिया था. मुंबई पुलिस से उसे हिरासत में लिए जाने के बाद 13 जनवरी, 2003 को उसकी हत्या कर दी गई थी.

Share Now

\