वे छुट्टी मनाने पहलगाम गए, ताबूतों में लौटे
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

पहलगाम आतंकी हमले में ऐसे मासूम लोग मारे गए हैं जो परिवार के साथ छुट्टी मनाने के लिए कश्मीर गए थे. पीड़ितों ने रूह कंपा देने वाली आपबीती बताई है.जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसारन घाटी में आतंकी हमले के बाद चीखें गूंज उठीं. आतंकियों की गोली का शिकार किसी का पति, किसी का भाई और किसी का पिता हो गया. छुट्टी मनाने गए लोगों को ऐसा जख्म मिला है जिसे कभी भरा नहीं जा सकता.

जम्मू-कश्मीर का अनंतनाग जिला दक्षिण कश्मीर में आता है, मंगलवार को आतंकवादियों ने अनंतनाग के पहलगाम से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित बैसारन घाटी को निशाना बनाया. बैसारन की खूबसूरत घाटी पर्यटकों के बीच काफी मशहूर है लेकिन आतंकियों ने उसे मासूमों के खून से लाल कर दिया.

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यह सबसे घातक हमला था और यह कश्मीर में साल 2000 के बाद से सबसे भीषण हमला बताया जा रहा है.

कैसे हुआ हमला, चश्मदीदों की जुबानी

पहलगाम में घने जंगलों से घिरे खूबसूरत मैदान बैसारन में मंगलवार का दिन आम दिनों की तरह ही शुरू हुआ. इस इलाके में एक हजार से 1,500 के बीच पर्यटक थे, जो सामान्य से थोड़ा कम है, दिन ढलने के साथ ही पर्यटकों की संख्या बढ़ी और दोपहर के करीब 2.45 बजे आतंकियों ने वहां मौजूद पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं. आतंकियों की संख्या 3 से 6 बताई जा रही है. रिपोर्टों के मुताबिक आतंकी पुलिस और सेना की वर्दी में थे. सेना की वर्दी में आए आतंकियों को देख लोगों को शक नहीं हुआ और वे उन्हीं के द्वारा मार दिए गए.

इस आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई, जिनमें सब पुरुष थे और देश के अलग-अलग कोने से छुट्टी मनाने के लिए पहलगाम पहुंचे थे. मरने वालों में एक नागरिक पड़ोसी देश नेपाल का भी है. जबकि घायलों की संख्या 17 बताई जा रही है.

इंडियन एक्सप्रेस अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, एक महिला ने बताया कि कैसे वर्दीधारी आतंकवादी जंगल से निकलकर घास के मैदान में आए, जहां पर्यटक प्रकृति का आनंद ले रहे थे. महिला ने कहा, "वे कम से कम 20 मिनट तक वहां रहे, बिना किसी डर के, इधर-उधर घूमते रहे और गोलियां चलाते रहे."

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए पांच आतंकी

पत्नी के सामने पति की हत्या

भारतीय मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि सैलानियों से पहले आतंकवादियों ने नाम और धर्म पूछा और फिर मौत के घाट उतार दिया. आतंकवादियों ने दशहतगर्दी का ऐसा खौफनाक खेला कि सुनकर किसी भी रूह कांप उठे. आतंकियों की गोली से बचने वालों ने कलेजा चीर देने वाली आपबीती बताई.

इंडियन एक्सप्रेस ने एक सूत्र के हवाले से लिखा, "घास के मैदान में पहुंचने के बाद आतंकवादियों ने सबसे पहले पर्यटकों को बंदूक की नोक पर बंधक बना लिया और फिर सभी महिलाओं और बच्चों को दूर रहने को कहा. पहचान पूछने के बाद उन्होंने नजदीक से गोलियां चलाईं. बाद में उन्होंने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी."

सूत्र ने बताया, "चश्मदीदों ने आरोप लगाया है कि कुछ पर्यटकों को मारने से पहले उन्हें अपने कपड़े उतारने के लिए कहा गया था. पुलिस इन दावों की पुष्टि कर रही है." उन्होंने आगे बताया कि हमला करीब 20-25 मिनट तक चला.

कर्नाटक की रहने वाली पल्लवी अपने पति मंजूनाथ और 18 साल के बेटे के साथ हमले के दौरान वहीं थीं. कन्नड़ मीडिया से बात करते हुए पल्लवी ने कहा कि उसने आतंकियों से कहा "आप ने मेरे पति को मारा, मुझे भी मार दो, आतंकी ने कहा तुम्हें नहीं मारेंगे, जाओ मोदी को बता दो."

उन्होंने अपने पति के साथ मार दिए जाने की गुहार लगाई थी. उन्होंने मीडिया से कहा, "हम पहलगाम में हैं और मेरे पति की मौत मेरे सामने ही हुई. मैं न तो रो सकती थी और न ही कुछ प्रतिक्रिया दे सकती थी - मैं यह भी नहीं समझ पा रही थी कि अभी क्या हुआ था. मैं अपने पति मंजूनाथ और बेटे अभिजय के साथ कर्नाटक के शिवमोगा से यहां आई थी."

हमले के बारे में आगे उन्होंने बताया, "आतंकवादी हमारे ठीक सामने थे. वे सेना की वर्दी में नहीं थे. लगभग सभी पुरुषों को निशाना बनाया गया. कई नई शादी वाले जोड़े थे, और ज्यादातर मामलों में केवल पतियों पर ही हमला किया गया, जबकि महिलाओं और अन्य को बख्श दिया गया. हिंदुओं को निशाना बनाया गया."

मरने वालों में कई ऐसे लोग हैं जिनकी हाल ही में शादी हुई थी. हरियाणा के करनाल के रहने वाले 26 साल के भारतीय नौसेना के अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल भी मारे गए. नरवाल की हाल ही में शादी हुई थी और वे अपनी पत्नी के साथ छुट्टी पर थे.

कोच्चि से कोलकाता और कोलकाता से रायपुर

मृतकों में देश के अलग-अलग हिस्सों के लोग शामिल हैं. जिनमें ओडिशा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना आदि राज्यों के लोग हैं. ओडिशा के रहने वाले 43 साल के प्रशांत सत्पथी अपनी पत्नी और 9 साल के बेटे के साथ छुट्टी पर थे, तभी अचानक आतंकियों ने उन्हें नजदीक से गोली मार दी. कोच्चि के रहने 65 साल के रामचंद्रन भी परिवार के साथ बैसारन में हमले के वक्त घुड़सवारी कर रहे थे तभी वह हमले का शिकार हो गए.

मरने वालों में कानपुर के व्यापारी शुभम द्विवेदी भी शामिल हैं. रिपोर्टों के मुताबिक उनकी शादी दो महीने पहले हुई थी और वह अपनी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ घूमने गए थे. जिस वक्त आतंकियों ने उन्हें गोली मारी उस वक्त उनकी पत्नी ही उनके साथ मौजूद थी. शुभम के चचेरे भाई ने एक चैनल से बात करते हुए कहा "आतंकियों ने शुभम से कहा कि मुसलमान हो तो कलमा पढ़कर बताओ, जवाब नहीं मिलने पर आतंकियों ने सिर पर गोली मार दी."

हमले में भारत की खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक अफसर मनीष रंजन की भी मौत हो गई. वे हैदराबाद स्थित आईबी कार्यालय में सेक्शन ऑफिसर थे. मनीष बिहार के रहने वाले थे और परिवार के साथ छुट्टी मनाने कश्मीर गए थे. हमले के समय उनके साथ उनकी पत्नी और बच्चे भी थे.

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के कार्यालय से जारी एक बयान के मुताबिक में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में महाराष्ट्र के पांच पर्यटकों की मौत हुई है.

छत्तीसगढ़ के रायपुर के 42 साल के दिनेश मिरानिया अपनी पत्नी नेहा और बच्चों के साथ शादी की सालगिरह मनाने कश्मीर गए थे, उन्हें भी गोली मारी गई. उनके एक दोस्त ने मीडिया से कहा, "उन्होंने मुझे एक दिन पहले फोन किया था. उन्होंने बताया कि वे वैष्णो देवी गए थे. आज उनकी शादी की सालगिरह थी."

आतंकी से भिड़ गया आदिल

हमले में पहलगाम के सैयद आदिल हुसैन शाह की भी मौत हो गई. रिपोर्टों के मुताबिक आदिल पर्यटकों को कार पार्किंग से बैसारन तक घोड़े पर ले जा रहे थे, जहां केवल पैदल ही पहुंचा जा सकता है. एक आतंकवादी से लड़ने के दौरान वह मारे गए. उन्होंने उस पर्यटक को बचाने की कोशिश की थी जिसे वे बैसारन पर लेकर आए थे. आदिल अपने परिवार का इकलौता कमाने वाले थे. उनके परिवार में बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी और बच्चे शामिल हैं.

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर इस हमले की निंदा की है. उन्होंने लिखा, "मैं सदमे में हूं. हमारे पर्यटकों पर यह हमला एक घिनौना कृत्य है. इस हमले के अपराधी घृणा के पात्र हैं. निंदा के लिए जितने शब्द भी पर्याप्त हों, कम हैं. मैं मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं."

कश्मीर में पर्यटकों को निशाना बनाकर किए जाने वाले हमले कम ही होते हैं. आखिरी घातक घटना जून 2024 में हुई थी, जब एक आतंकवादी हमले में हिंदू तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक बस गहरी खाई में गिर गई थी, जिसमें कम से कम नौ लोग मारे गए थे और 33 घायल हो गए थे.

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