Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 10 नवंबर को होगी सुनवाई
उच्चतम न्यायालय वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े एक विवाद पर 10 नवंबर को सुनवाई के लिए सोमवार को सहमत हो गया.
नई दिल्ली, 31 अक्टूबर: उच्चतम न्यायालय वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े एक विवाद पर 10 नवंबर को सुनवाई के लिए सोमवार को सहमत हो गया. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ को अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि इस मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है क्योंकि अदालत का आदेश 12 नवंबर को खत्म हो रहा है जो मस्जिद के उस क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए है जहां एक सर्वेक्षण के दौरान ‘‘शिवलिंग’’ मिला है. Freedom of Speech: सोशल मीडिया पर बोलने की आजादी होनी चाहिए या पाबंदी, जानें क्या है मतभेद, कब-कब हुई कार्रवाई
जैन ने कहा, ‘‘हमारी मुश्किल यह है कि अदालत का अंतरिम आदेश 12 नवंबर को खत्म हो रहा है.’’ इसके बाद पीठ 10 नवंबर को मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गई. शीर्ष अदालत ने 20 मई को ज्ञानवापी मस्जिद पर हिंदू श्रद्धालुओं द्वारा दायर एक दीवानी मुकदमे को यह कहते हुए सिविल जज से जिला जज, वाराणसी को स्थानांतरित कर दिया था कि इस मुद्दे की ‘‘जटिलताओं’’ और ‘‘संवेदनशीलता’’ को देखते हुए 25-30 साल से अधिक के अनुभव वाला एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी मामले से निपटे तो बेहतर है.
एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में, शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि उपासना स्थल के धार्मिक स्वरूप का पता लगाने की प्रक्रिया 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के तहत प्रतिबंधित नहीं है. शीर्ष अदालत ने कहा था कि मामले में जटिलताओं और संवेदनशीलता को देखते हुए बेहतर होगा कि एक जिला न्यायाधीश मामले का निपटारा करे. साथ ही, न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह सिविल जज पर कोई आक्षेप नहीं लगा रहा है, जो पहले मुकदमे की सुनवाई कर रहे थे.
शीर्ष अदालत ने जिला न्यायाधीश को मस्जिद समिति द्वारा दायर सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश सात नियम 11 के तहत अर्जी की प्राथमिकता पर फैसला करने का भी निर्देश दिया था, जिसमें कहा गया था कि दीवानी मुकदमा 1991 के कानून द्वारा वर्जित है.
शीर्ष अदालत ने 17 मई को, वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के अंदर के क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था, जहां ‘‘शिवलिंग’’ पाया गया है, और मुसलमानों को नमाज अदा करने की अनुमति दी थी.
मुस्लिम पक्ष उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 और इसकी धारा 4 का उल्लेख कर रहा है, जो 15 अगस्त, 1947 को विद्यमान किसी भी स्थान के धार्मिक स्वरूप के रूपांतरण के लिए मुकदमा दायर करने या कोई अन्य कानूनी कार्यवाही शुरू करने पर रोक लगाता है.
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