Rajasthan Peon Vacancy 2025: राजस्थान में सरकारी नौकरियों (Govt. Jobs) की चाहत इतनी प्रबल है कि लाखों उच्च योग्यताधारी युवा भी चपरासी बनने के लिए परीक्षा देने को मजबूर हैं. दरअसल, राज्य में 53,749 चपरासी पदों के लिए लगभग 25 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, जबकि आवश्यक योग्यता दसवीं कक्षा उत्तीर्ण थी. जयपुर के गांधी नगर केंद्र (Gandhi Nagar Centre) सहित 38 जिलों के 1,286 परीक्षा केंद्रों पर सुबह से ही लंबी कतारें लग गईं. तस्वीरों से पता चलता है कि एमएससी, बीटेक और यहां तक कि पीएचडी धारक (Rajasthan Unemployment 2025) भी नौकरी चाहने वाले परीक्षा देने पहुंचे.
कई उम्मीदवार कैमरों से बचते हुए दिखाई दिए, इस डर से कि उनके गांव वालों या रिश्तेदारों को पता चल जाएगा कि वे चपरासी पद के लिए परीक्षा दे रहे हैं.
चपरासी के 53,000 पदों के लिए 25 लाख आवेदन
देश में बेरोज़गारी का असली चेहरा देखिए —
राजस्थान में चपरासी के 53,000 पदों के लिए 25 लाख आवेदन आए
इसमें https://t.co/frYD5JIdI5 से लेकर PhD तक के युवा लाइन में हैं।
जिसमं 90% ओवरक्वालिफ़ाइड हैं
फिर भी ऑफिस में चाय-पानी पिलाने और फाइलें ढोने की नौकरी पाने को मजबूर.… pic.twitter.com/rZ8taEFbbC
— Bharat Jodo Abhiyaan (@withbharatjodo) September 20, 2025
केवल 10% उम्मीदवार ही योग्य मिले!
केवल 10% उम्मीदवारों के पास न्यूनतम दसवीं कक्षा उत्तीर्ण योग्यता थी, जबकि बाकी उम्मीदवार जरूरत से ज्यादा योग्यता वाले पाए गए. एमएससी और बीएड डिग्री वाले अभ्यर्थी भी यह कहते देखे गए कि अब वे स्कूल की घंटी बजाने या पानी पिलाने जैसे काम करने को तैयार हैं.
भर्ती परीक्षा में इतनी भीड़ थी कि परीक्षा के बाद जयपुर बस स्टैंड पर छात्रों के बीच धक्का-मुक्की की तस्वीरें सामने आईं. कई अभ्यर्थी बस में चढ़ने के लिए खिड़की से चढ़ते देखे गए.
पेपर लीक होना बना बेरोजगारी का कारण
इस स्थिति का एक बड़ा कारण बार-बार पेपर लीक होना है. पिछले कुछ वर्षों में 30 से ज्यादा भर्ती परीक्षाएं लीक हो चुकी हैं. इससे न सिर्फ योग्य उम्मीदवार नौकरी से वंचित हुए हैं, बल्कि फर्जी प्रमाणपत्रों और नकल को भी बढ़ावा मिला है. इस बार, सख्ती बरती गई और पहले ही दिन, डुप्लीकेट फोटो वाले लगभग 1,700 अभ्यर्थियों को अयोग्य घोषित कर दिया गया.
इसके अलावा, नकल रोकने के लिए, अभ्यर्थियों को बिना जूतों या गहनों के परीक्षा देनी पड़ी.
राजनीतिक बहस तेज
इस बात पर भी राजनीतिक बहस तेज हो गई है कि क्या इतनी ऊंची डिग्री वालों को ऐसी नौकरियां करने का मौका दिया जाना चाहिए जो सिर्फ दसवीं कक्षा के छात्र ही पा सकते हैं. हालांकि, हकीकत यह है कि बेरोजगारी ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि युवा किसी भी नौकरी को सुरक्षित भविष्य की गारंटी मानने लगे हैं.













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