दुनिया का वो सबसे कीमती मंदिर, जिसमें करीब 15 हजार किलो सोना लगा है
स्वर्ण मंदिर की चर्चा होते ही हम अमृतसर (पंजाब) के मंदिर पहुंच जाते हैं, जिसके बारे में बताया जाता है कि मंदिर की आधी से ज्यादा छत स्वर्ण पतरों से ढकी हुई है. जानकारों के अनुसार इसमें साढ़े सात सौ किलो सोना लगा है, क्या आप जानते हैं, इससे 20 गुना ज्यादा सोना दक्षिण भारत स्थित वेल्लोर (तमिलनाडु) के श्रीपुरम् महालक्ष्मी मंदिर में लगा स्वर्ण है.
स्वर्ण मंदिर की चर्चा होते ही हम अमृतसर (पंजाब) के स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) पहुंच जाते हैं, जिसके बारे में बताया जाता है कि मंदिर की आधी से ज्यादा छत स्वर्ण पतरों से ढकी हुई है. जानकारों के अनुसार इसमें साढ़े सात सौ किलो सोना लगा है, क्या आप जानते हैं, इससे 20 गुना ज्यादा सोना दक्षिण भारत स्थित वेल्लोर (तमिलनाडु) के श्रीपुरम् महालक्ष्मी मंदिर में लगा है. माना जाता है कि इस मंदिर में लगभग 15 हजार किलो सोने का इस्तेमाल किया गया है. कहते हैं कि इस महालक्ष्मी मंदिर में श्रद्धालु की हर मन्नतें पूरी होती है. आइये जानते हैं दुनिया के इस सबसे अमीर महालक्ष्मी मंदिर का इतिहास क्या है.
युवा संन्यासिनी के प्रयास से बना यह मंदिर
हिंदू मंदिरों और उसकी समृद्धि एवं गौरवशाली इतिहास से पूरी दुनिया परिचित है. मुगल लुटेरों का पहला आकर्षण ये हिंदू मंदिर ही रहे हैं. बहरहाल हम वर्तमान के चेन्नई स्थित श्रीपुरम महालक्ष्मी मंदिर की बात करेंगे. माता लक्ष्मी का यह भव्य मंदिर काटपाडी (वेल्लूर रेलवे स्टेशन) से 7 किमी दूर मलाईकोड़ी की पहाड़ियों पर 100 एकड़ परिक्षेत्र में फैला हुआ है. जानकारों के अनुसार इस मंदिर के निर्माण में एक युवा संन्यासिनी शक्ति अम्मा का महत्वपूर्ण योगदान है. मंदिर की रचना वृत्ताकार है और परिसर के बाहर तीर्थम सरोवर बनाया गया है. कहते हैं कि गंगा, यमुना एवं नर्मदा समेत देश की सभी पवित्र नदियों से पानी लाकर इस सरोवर में छोड़ा गया है. यह भी पढ़ें : पूजा एवं आरती के समय घंटी क्यों बजाते है? जानें सैकड़ों साल पुरानी परंपरा का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व?
इस श्रीपुरम मंदिर के निर्माण में 15 हजार किलो सोने का इस्तेमाल किया गया है. पर सोने की लगभग 9 से 15 सोने की परतें बिछाई गई है. सोने की परतों को शिलालेखों से सजाया गया है, इसमें मुद्रित डिजाइन वेदों से उद्घृत की गई है. सोने की चमक के कारण रात के समय यह मंदिर दूर से ही काफी ज्यादा देखने में बहुत खूबसूरत नजर आता है. मंदिर परिसर में अंकित शिलालेख के अनुसार मंदिर के निर्माण में लगभग 300 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केन्द्र है.
छोटे कपड़े पहनकर आने पर है रोक
इस मंदिर के बहुत सख्त नियम हैं. इसी में एक नियम है ड्रेस कोड को लेकर. यहां प्रत्येक दर्शानार्थियों के लिए ड्रेसकोड निर्धारित है. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मंदिर में लुंगी, शॉर्ट्स, नाइटी, मिडी अथवा बरमूडा जैसे छोटे कपड़े पहनकर आने पर रोक है. एक और सख्त नियम मंदिर में प्रवेश करने के समय को लेकर है. अभिषेक के लिए मंदिर को प्रातःकाल 4 बजे से प्रातः 8 बजे तक खोला जाता है. जबकि आम दर्शनार्थियों के लिए सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे तक खोला जाता है. इसके पश्चात मंदिर में किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जाता.