सुप्रीम कोर्ट द्वारा सबरीमाला (SabarimalaTemple) मुद्दे पर फैसला टालने के दो दिनों बाद भगवान अयप्पा मंदिर आज मंडला पूजा उत्सव के लिए खुलने वाला है. मंदिर में सभी उम्र और वर्ग की महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी लेकिन, उन्हें कोई सुरक्षा नहीं दी जाएगी. विवादास्पद सबरीमाला मंदिर के द्वार आज वार्षिक मंडला तीर्थयात्रा के लिए खुलने वाले हैं. एएनआई की खबर के अनुसार वुमन राइट्स एक्टिविस्ट तृप्ति देसाई, जिन्होंने मंदिर में एक निश्चित आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध की आलोचना की थी, उन्होंने कहा कि वह 20 नवंबर के बाद मंदिर का दौरा करेंगी, चाहे उन्हें सुरक्षा मिले या न मिले. जैसा कि तीर्थयात्रियों ने सबरीमाला मंदिर के लिए अपना रास्ता बनाना शुरू कर दिया है, अब यह देखने की जरूरत है कि क्या महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर पाएंगी या नहीं.
साल 1951 के बाद से त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (Tranvancore Devaswom Board ) ने 10 वर्ष और 50 वर्ष की उम्र तक की महिलाओं (मासिकधर्म आनेवाली) के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया था. इस अधिसूचना को 1965 से कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाया गया और 1991 में केरल उच्च न्यायालय द्वारा इसे बरकरार रखा गया था. 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी उम्र की महिलाओं के लिए मंदिर का द्वार खोल दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हर उम्र और वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी. कोर्ट ने कहा कि हमारी संस्कृति में महिला का स्थान आदरणीय है. यहां महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है. महिलाओं का मंदिर में प्रवेश रोका जाना स्वीकार्य नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद केरल एक युद्ध क्षेत्र में बदल गया, जगह जगह दंगे होने लगे. संघ परिवार और हिंदू संगठनों ने मासिक धर्म के उम्र वाली महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया. कोर्ट के इस फैसले पर करीब 54 पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गईं थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच तय करेगी कि 28 सितंबर के फैसले को बदला जाए या नहीं.