'जो आतंकियों को पालेंगे, वो अंजाम भुगतेंगे, हम प्रहार करने से नहीं हिचकेंगे', चीन में गरजे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

Rajnath Singh SCO Meeting 2025 India China Relations: भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हाल ही में चीन के शहर क़िंगदाओ गए थे. वहां शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की एक बड़ी बैठक थी, जिसमें उन्होंने हिस्सा लिया. यह दौरा इसलिए भी बहुत अहम है क्योंकि मई 2020 में लद्दाख की सीमा पर भारत और चीन के बीच हुए तनाव के बाद, यह पहली बार था जब भारत के कोई रक्षा मंत्री चीन गए थे.

इस बैठक में राजनाथ सिंह ने आतंकवाद, शांति और सुरक्षा जैसे कई गंभीर मुद्दों पर खुलकर बात की. चलिए जानते हैं उन्होंने क्या-क्या कहा.

सबसे बड़ी चुनौती - आतंकवाद

राजनाथ सिंह ने साफ शब्दों में कहा कि हमारे क्षेत्र में शांति और सुरक्षा की सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद और कट्टरपंथ है. उन्होंने कहा कि जब तक आतंकवाद जैसी बुराइयां रहेंगी, तब तक शांति और तरक्की एक साथ नहीं चल सकतीं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन खतरों से निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर निर्णायक कार्रवाई करनी होगी.

आतंकवाद को पालने वाले देशों को चेतावनी

बिना किसी देश का नाम लिए, राजनाथ सिंह ने उन देशों पर कड़ा प्रहार किया जो अपनी नीतियों के लिए आतंकवाद का इस्तेमाल करते हैं और आतंकियों को पनाह देते हैं. उन्होंने कहा, "जो लोग अपने स्वार्थ के लिए आतंकवाद को पालते-पोसते हैं, उन्हें इसका अंजाम भुगतना होगा." उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद पर दोहरा रवैया नहीं चलेगा और SCO जैसे मंच को ऐसे देशों की आलोचना करने में बिल्कुल भी संकोच नहीं करना चाहिए.

भारत की 'जीरो टॉलरेंस' नीति

रक्षा मंत्री ने बताया कि आतंकवाद को लेकर भारत की नीति 'जीरो टॉलरेंस' की है, यानी आतंकवाद को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यह सिर्फ बातों में नहीं, बल्कि हमारे एक्शन में भी दिखता है. उन्होंने एक मजबूत संदेश देते हुए कहा, "हमने यह दिखा दिया है कि आतंकवाद के अड्डे अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में बिल्कुल नहीं हिचकेंगे."

बदलते खतरे और नई तकनीक

राजनाथ सिंह ने आज के दौर के नए खतरों का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि आतंकी अब ड्रोन जैसी नई तकनीक का इस्तेमाल हथियार और ड्रग्स की सीमा पार तस्करी के लिए कर रहे हैं. इन खतरों के अलावा साइबर हमले और हाइब्रिड युद्ध (जिसमें सैन्य और गैर-सैन्य तरीकों का इस्तेमाल होता है) जैसी चुनौतियां भी हैं. उन्होंने कहा कि ये खतरे किसी एक देश की सीमा में बंधे नहीं हैं, इसलिए इनसे निपटने के लिए सभी को मिलकर, भरोसे और पारदर्शिता के साथ काम करना होगा.

उन्होंने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले का भी जिक्र किया, जिसकी जिम्मेदारी आतंकी संगठन TRF ने ली थी.

मिलकर काम करने पर दिया जोर

अंत में, राजनाथ सिंह ने कहा कि आज दुनिया बहुत बदल रही है. देश अब उतने मिल-जुलकर काम नहीं कर रहे, जितना पहले करते थे. इससे महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने या शांति बनाए रखने जैसी बड़ी चुनौतियों का सामना करना मुश्किल हो गया है.

उन्होंने कहा, "कोई भी देश, चाहे वह कितना भी बड़ा और शक्तिशाली क्यों न हो, अकेले काम नहीं कर सकता." उन्होंने भारत की सदियों पुरानी संस्कृति का जिक्र करते हुए कहा, 'सर्वे जन सुखिनो भवन्तु', जिसका अर्थ है कि सभी के लिए शांति और समृद्धि हो. यही मिलकर काम करने का मूल विचार है.

कुल मिलाकर, राजनाथ सिंह का यह भाषण आतंकवाद पर भारत के सख्त रुख और वैश्विक शांति के लिए सहयोग की मजबूत वकालत का एक स्पष्ट संदेश था.