Telangana: काला जादू करने के शक में महिला की हत्या

तेलंगाना में काला जादू करने के संदेह में एक महिला की जान चली गई. पुलिस ने यह जानकारी दी. घटना बुधवार को कुमारम भीम आसिफाबाद जिले के आसिफाबाद ग्रामीण मंडल के कुटोदा गांव की है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

हैदराबाद, 11 फरवरी : तेलंगाना में काला जादू करने के संदेह में एक महिला की जान चली गई. पुलिस ने यह जानकारी दी. घटना बुधवार को कुमारम भीम आसिफाबाद जिले के आसिफाबाद ग्रामीण मंडल के कुटोदा गांव की है. पुलिस के अनुसार, एक व्यक्ति, (जिसके 12 वर्षीय बेटे की कुछ दिन पहले अस्वस्थता के कारण मृत्यु हो गई थी) ने महिला पर हमला किया और उसकी हत्या कर दी, क्योंकि उसे संदेह था कि उसके द्वारा किए गए काले जादू से उसके बेटे की मौत हो गई. कांटे भीमबाई (65) की उस समय मौत हो गई जब अत्रम कट्टी ने सर्दी की ठंड को मात देने के लिए अलाव के पास बैठे हुए उसके सिर पर डंडे से वार किया. महिला के परिजन उसे आसिफाबाद अस्पताल ले गए, लेकिन रास्ते में उसने दम तोड़ दिया.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि भीमबाई के बेटे की शिकायत पर आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. कट्टी के पुत्र श्याम राव (12) की कुछ दिनों पहले अस्वस्थता के कारण मृत्यु हो गई थी और उन्हें संदेह था कि महिला द्वारा कथित तौर पर टोना-टोटका किया जा रहा था, जिससे उसकी मृत्यु हो गई और वह बदला लेने की प्रतीक्षा कर रहा था. यह घटना डेढ़ महीने बाद हुई जब काला जादू करने के संदेह में तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी. 20 दिसंबर को जगतियाल जिले के तारकराम नगर में येरुकला समुदाय की एक बैठक के दौरान लोगों के एक समूह ने एक व्यक्ति और उसके दो बेटों की बेरहमी से हत्या कर दी थी. बहस के दौरान सभा में शामिल कुछ लोगों ने नागेश्वर राव और उनके तीन बेटों पर चाकुओं और अन्य धारदार हथियारों से हमला किया और 40-50 लोगों की मौजूदगी में उनकी हत्या कर दी. येरुकला वाडा में एक महिला की एक हफ्ते पहले मौत हो गई थी और राव के विरोधियों को शक था कि वह उसकी मौत के लिए जिम्मेदार है. यह भी पढ़ें : UP: उन्नाव में दलित युवती का शव मिलने पर बोलीं मायावती- सख्त कार्रवाई करे सरकार

तेलंगाना के कुछ हिस्सों में अंधविश्वास की जड़ें बहुत गहरी हैं. इस क्षेत्र में अतीत में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनमें 'भानमती' (काला जादू का एक रूप) का अभ्यास करने वाले लोगों को जिंदा जला दिया गया था या उनकी हत्या कर दी गई थी. ज्यादातर मामलों में शिकार महिलाएं थीं. उनकी या तो हत्या कर दी गई, उन्हें नंगा घुमाया गया या उनका शारीरिक शोषण किया गया. पिछले दो दशकों में पुलिस द्वारा चलाए गए जागरूकता अभियान से ऐसे मामलों की संख्या में कमी आई है, लेकिन इस समस्या को पूरी तरह समाप्त नहीं किया है. काले जादू के खिलाफ लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए पुलिस अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में 'कलाब्रुंडम' नामक सांस्कृतिक मंडली का उपयोग करती है. सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से पुलिस घर-घर जाकर यह संदेश देने की कोशिश करती है कि लोगों को अंधविश्वास छोड़कर तांत्रिकों के झांसे में नहीं आना चाहिए. लोगों से स्वास्थ्य, आर्थिक या अन्य समस्याओं के लिए काले जादू पर संदेह न करने का भी आग्रह किया जाता है.

न सिर्फ दूर-दराज के गांव और कस्बे बल्कि शहर भी ऐसी घटनाओं के गवाह बन रहे हैं. हैदराबाद में भी पिछले साल नवंबर में काले जादू को लेकर एक हत्या हुई थी. एक व्यक्ति की बहन के पति ने उसकी प्रेमिका के इलाज के लिए 2 लाख रुपये की मांग करने के बाद उसकी हत्या कर दी, क्योंकि उसे संदेह था कि उसने उस पर काला जादू किया था. हत्या के आरोप में होमगार्ड समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. नवंबर 2020 में जगतियाल जिले में हैदराबाद के एक तकनीकी विशेषज्ञ को उसके ससुराल वालों ने जिंदा जला दिया था. काले जादू से अपनी पत्नी के भाई की मौत के लिए दोषी ठहराए गए 40 वर्षीय तकनीकी विशेषज्ञ को बलवंतपुर गांव में उनके ससुराल वालों द्वारा चलाए जा रहे एक आश्रम में पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया गया. पुलिस ने कहा कि तकनीकी विशेषज्ञ की पत्नी भी आश्रम में मौजूद थी और उसने हत्या को रोकने के लिए कुछ नहीं किया. काला जादू करने वाले व्यक्ति के बारे में परिवार इतना आश्वस्त था कि उन्हें लगा कि अगर उसे नहीं मारा गया, तो वह उन्हें मार डालेगा.

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