राम का नाम लेने से काम नहीं चलेगा, उनके आदर्शों पर चलना होगा: तेजस्वी यादव
Tejashwi Yadav | ANI

पटना, 29 मई : बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि राम का नाम लेने से काम नहीं चलेगा, उनके आदर्शों पर चलना होगा.

मुख्यमंत्री योगी ने कहा था किये चुनाव राम विरोधी और राम भक्तों के बीच है. उनके इस बयान पर पूछे जाने पर बुधवार को तेजस्वी यादव ने कहा, "इस देश में कौन राम भक्त नहीं है? हम लोग तो दूरदर्शन के समय से ही रामायण देखते आ रहे हैं. हमारे घर में राम हैं. हमारे घर में मंदिर है. लेकिन रामराज्य के लिए बेहतर है बेरोजगारी को दूर करना. महंगाई को दूर करना, गरीबी को दूर करना. राम का नाम लेने से काम नहीं चलेगा, राम के आदर्शों पर चलने से काम होगा. यह भी पढ़ें : मप्र: एक व्यक्ति ने अपने परिवार के आठ लोगों की हत्या करने के बाद की खुदकुशी

उल्लेखनीय है कि मंगलवार को योगी आदित्यनाथ ने पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को परम राम भक्त बताते हुए कहा था कि देश की जनता कहती है कि राम भक्त ही राज करेगा दिल्ली के सिंहासन पर.

तेजस्वी ने कहा कि इस बार चुनावी मुद्दा महंगाई, बेरोजगारी और युवाओं को सशक्त बनाना है. बिहार ने पिछले चुनाव में इनको गुजरात से भी अधिक सांसद दिया, यहां 40 में से 39 सांसद इन्हें मिले. लेकिन इसके बाद बिहार को ठेंगा मिला और गुजरात को सब कुछ मिला. इसलिए बिहार की जनता इस बार उनको सबक सिखाएगी.

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान के नौकरी के बदले जमीन लिखवाने के बयान पर उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि पांच लाख लोगों को नौकरी दी है, एक भी युवा बता दें जिनसे जमीन ली गई हो. चिराग पासवान ने राजद पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि राजद जमीन लिखवा कर नौकरी देती है.

इससे पहले मंगलवार को योगी आदित्यनाथ के बिहार दौरे को लेकर तेजस्वी यादव ने कहा था कि बिहार में चुनाव प्रचार के लिए नॉर्थ कोरिया के किम जोंग उन को भी बुला लें. योगी और किम जोंग उन दोनों को साथ खड़ा कर दिया जाए. दोनों एक ही टाइप के नेता हैं.

बिहार में कई जिलों में भीषण गर्मी से सरकारी स्कूलों में बच्चों के बेहोश होने की खबरें आ रही हैं. इस सवाल के जवाब में तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में लोकतंत्र नहीं रह गया है, सरकार नहीं रह गई है, केवल ब्यूरोक्रेसी रह गई है. अफसरशाही चरम सीमा पर है. तेजस्वी ने कहा कि मुख्यमंत्री की बात भी स्कूल के टाइमिंग को लेकर नहीं सुनी जाती. आप समझ जाइए क्या स्थिति है. मुख्यमंत्री इतना कमजोर क्यों हो गए हैं?