नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के सर्वमान्य समाधान के लिये मध्यस्थता करने का आदेश दिया है. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया है. लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के जरिए समझौते कराने के लिए तीन मध्यस्थ भी नियुक्त किए है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई तीन मध्यस्थों की टीम अगले एक हफ्ते में मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू करेगी और आठ हफ्ते में रिपोर्ट सौपेगी.
जस्टिस इब्राहिम खल्लीफुल्ला (Justice Kalifulla) - जस्टिस इब्राहिम खल्लीफुल्ला भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं. जस्टिस खल्लीफुल्ला को 2 अप्रैल 2012 को भारत के शीर्ष कोर्ट के जज बने. न्यायमूर्ति कलीफुल्ला 22 जुलाई 2016 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए. वें साल 1975 में वकालत के पेशे से जुड़े. 2 मार्च 2000 को उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. इसके बाद फरवरी 2011 में वह जम्मू और कश्मीर के उच्च न्यायालय के सदस्य बने. उन्हें सितंबर 2011 में जम्मू और कश्मीर के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नामित किया गया था.
श्री श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) -
श्री श्री रविशंकर आध्यात्मिक गुरू और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक है. अयोध्या विवाद की मध्यस्थता में शामिल हुए 62 वर्षीय आध्यात्मिक गुरु ने हाल ही में मुस्लिम समुदाय के सुन्नी और शिया दोनों वर्गो के नेताओं से मुलाकात की थी. उनका कहना है कि वह सरकार के संपर्क में नहीं हैं और सरकार का उनके प्रयासों से कोई संबंध नहीं है.
श्रीराम पंचू (Sriram Panchu) - सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए मामले में मध्यस्थता का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू को भी सौपा है. श्रीराम पंचू ने द मेडिएशन चेम्बर्स की स्थापना की थी. द मेडिएशन चेम्बर्स मध्यस्थता में सेवाएं प्रदान करने का काम करता है. वह एसोसिएशन ऑफ इंडियन मीडिएटर्स के अध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता संस्थान (IMI) के बोर्ड में निदेशक हैं.
शीर्ष अदालत ने विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था. इस संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.