सुप्रीम कोर्ट ने IIT-Bombay में दलित छात्र के लिए सीट बनाने का आदेश दिया
उच्चतम न्यायालय (Photo Credits: Wikimedia Commons)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत आईआईटी-बंबई (IIT-Bombay) में एक दलित छात्र के लिए सीट बनाने खातिर अपनी शक्ति का प्रयोग किया. छात्र ने परीक्षा उत्तीर्ण की, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण समय पर शुल्क जमा नहीं कर सका. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) और एएस बोपन्ना (AS Bopanna) ने ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी (जोसा) की ओर से पेश वकील से कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर कठोर नहीं होना चाहिए और सामाजिक जीवन की वास्तविकताओं व व्यावहारिक कठिनाइयों को समझना चाहिए. IIT बॉम्बे ने नाइट्रोजन जनरेटर को ऑक्सीजन जनरेटर में बदल कर ऑक्सीजन की कमी को हल करने का रास्ता सुझाया

पीठ ने कहा, "छात्र के पास पैसे नहीं थे, उसकी बहन को पैसे ट्रांसफर करने पड़े और कुछ तकनीकी मुद्दे थे. लड़के ने परीक्षा पास कर ली. अगर यह उसकी लापरवाही होती तो हम आपसे नहीं कहते."

पीठ ने आगे कहा कि इस मामले को मानवीय दृष्टिकोण से निपटाया जाना चाहिए. जोसा ने पीठ के समक्ष दलील दी कि सभी सीटें भर दी गई हैं, खाली सीट उपलब्ध नहीं है. शीर्ष अदालत ने जोसा को इस छात्र के लिए एक सीट निर्धारित करने का निर्देश देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग किया.

पीठ ने कहा कि यदि कोई दलित लड़का तकनीकी खामी के कारण प्रवेश लेने से चूक जाता है तो यह न्याय का एक बड़ा उपहास होगा. पीठ ने कहा, "इस अदालत के सामने एक युवा दलित छात्र है जो आईआईटी-बंबई में आवंटित एक मूल्यवान सीट खोने के कगार पर है .. इसलिए, हमारे विचार से यह अंतरिम चरण में अनुच्छेद 142 का एक उपयुक्त मामला है."

सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने जोसा के वकील से मामले को सुलझाने का रास्ता तलाशने को कहा. पीठ ने छात्र के उत्कृष्ट ट्रैक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि अदालत अगर ऐसे उम्मीदवार की सहायता नहीं करेगी तो किसकी करेगी.

पीठ ने आदेश दिया कि किसी अन्य छात्र के प्रवेश को बाधित किए बिना लड़के को एक सीट आवंटित की जानी चाहिए.

छात्र को 27 अक्टूबर को सिविल इंजीनियरिंग शाखा में आईआईटी-बंबई में एक सीट आवंटित की गई थी. याचिकाकर्ता ने 29 अक्टूबर को जोसा वेबसाइट पर लॉग इन किया था और आवश्यक दस्तावेज अपलोड किए थे, लेकिन सीट स्वीकृति शुल्क का भुगतान करने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे. उसकी बहन ने 30 अक्टूबर को उसे पैसे ट्रांसफर कर दिए और उसने फिर से कई बार भुगतान करने की कोशिश की, लेकिन असफल रहा. छात्र के वकील ने पीठ को बताया कि वह तकनीकी खामी के कारण फीस जमा करने में विफल रहा.