Vijay Shah Remarks On Col Sophia Qureshi: कर्नल सोफिया पर विवादित बयान, सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री विजय शाह को लगाई फटकार

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री कुंवर विजय शाह की कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई विवादित टिप्पणी पर कड़ी नाराज़गी जताई है. कोर्ट ने कहा कि मंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और सोच-समझकर बोलना चाहिए.

कर्नल सोफिया कुरैशी वही सेना अधिकारी हैं जिन्होंने हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में मीडिया को जानकारी दी थी. यह ऑपरेशन पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में किया गया था, जिसमें 26 भारतीय नागरिक मारे गए थे.

विजय शाह ने एक जनसभा में कथित तौर पर कहा, “जिन्होंने हमारी बेटियों को विधवा किया, उन्हें सबक सिखाने के लिए उनकी ही बहन को भेजा.” लोगों ने इसे कर्नल सोफिया कुरैशी पर इशारा मानते हुए आलोचना की और शाह के इस्तीफे की मांग की.

इस टिप्पणी को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई और पुलिस को तुरंत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. अदालत ने कहा कि मंत्री की बात सिर्फ उस अधिकारी नहीं बल्कि पूरी सेना का अपमान है.

न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन ने कहा, “अगर पुलिस ने आदेश नहीं माना तो हम आसमान सिर पर उठा लेंगे.” 14 मई की रात को मनपुर पुलिस ने विजय शाह पर FIR दर्ज की, जिसमें उन्हें भारत की संप्रभुता को खतरे में डालने और समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाने जैसी धाराओं के तहत आरोपी बनाया गया है.

विजय शाह ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. गवई ने कहा, “जब देश ऐसे हालात से गुजर रहा है, एक मंत्री को पता होना चाहिए कि वो क्या बोल रहे हैं. संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से ऐसी गैरजिम्मेदाराना भाषा की उम्मीद नहीं की जा सकती.”

शाह के वकील ने कहा कि उन्हें गलत समझा गया और उन्होंने खेद भी जताया है. उन्होंने FIR पर रोक लगाने की अपील की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इससे इनकार कर दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट को जानकारी दी जाए कि अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने है.

एक संवैधानिक पद पर बैठे मंत्री से यह अपेक्षा की जाती है कि वह सार्वजनिक मंच पर सोच-समझकर बयान दें. सेना के अधिकारी देश की सेवा करते हैं और उन पर की गई हल्की-फुल्की टिप्पणी न सिर्फ अपमानजनक है, बल्कि पूरे देश की गरिमा को ठेस पहुंचा सकती है. सुप्रीम कोर्ट का यह रुख यह दिखाता है कि अब ऐसे बयानों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.