Supreme Court on Sonam Wangchuk Case: सोनम वांगचुक की नजरबंदी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली
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नई दिल्ली, 29 अक्टूबर : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में लद्दाख स्थित जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk ) की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत नजरबंदी को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई टल गई है. अब अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी. वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो की ओर से दायर इस मामले में उनकी नजरबंदी की वैधता और अधिकारियों की ओर से अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए थे.सोनम वांगचुक की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा कि हमें हलफनामे की कॉपी बुधवार को मिली है. हालांकि हम नई याचिका पर सुनवाई करेंगे.

गीतांजलि अंग्मो के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि हमने मंगलवार शाम नई अर्जी को हलफनामे के साथ दाखिल किया है. बेंच ने कहा कि हम संशोधित याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हैं. याचिका के साथ अतिरिक्त सबूत वाले दस्तावेज लगाने के लिए एक हफ्ता दिया है. इसके बाद दस दिनों में सरकार जवाब देगी. फिर अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी. इससे पहले की सुनवाई में सिब्बल ने अदालत को बताया था कि केंद्र सरकार ने वांगचुक को नजरबंदी के आधार बता दिए हैं, जिससे मूल याचिका में संशोधन करना जरूरी हो गया है. उन्होंने कहा, "मैं याचिका में संशोधन करूंगा ताकि मामला यहीं जारी रह सके." इसके बाद, अदालत ने मामले की अगली सुनवाई बुधवार को तय कर दी थी. यह भी पढ़ें : Mumbai: VJTI छात्र ने तोड़ा रिकॉर्ड! अमेरिकी कंपनी से मिला 72 लाख का सालाना पैकेज

सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में मूल रूप से यह तर्क दिया गया था कि अधिकारी एनएसए की धारा 8 के तहत हिरासत के आधार प्रस्तुत करने में विफल रहे हैं, जिसके अनुसार बंदियों को एक निश्चित समय के भीतर उनकी हिरासत के कारणों के बारे में सूचित किया जाना आवश्यक है.

हालांकि, लेह प्रशासन ने जिला मजिस्ट्रेट रोमिल सिंह डोंक के माध्यम से दायर अपने हलफनामे में दावा किया कि निर्धारित अवधि के भीतर बंदी को कारणों से विधिवत अवगत करा दिया गया था. सुनवाई कथित तौर पर एनएसए लगाने के प्रशासन के औचित्य और वांगचुक के प्रतिनिधित्व पर केंद्रित थी, जिसमें इसे चुनौती दी गई थी. सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था. इसके बाद देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए और नागरिक अधिकार समूहों ने भी इसकी आलोचना की. उन्होंने वांगचुक की हिरासत को मनमाना और अनुचित बताया.