Supreme Court on Farm Laws: अगर केंद्र कृषि कानूनों को लागू नहीं करना चाहता है, तो हम करेंगे- CJI
सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: IANS)

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को द्रमुक सांसद तिरुचि शिवा, राजद सांसद मनोज के झा सहित उन तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की, जिसमें केंद्र द्वारा किसानों को प्रदर्शन से हटाने की दलील दी गई है. सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार के रवैये से काफी निराश है और कहा कि, जिस तरह से प्रक्रिया चल रही है उससे हम निराश हैं, हम नहीं जानते कि क्या बातचीत चल रही है. क्या कुछ समय के लिए फार्म लॉ को होल्ड पर रखा जा सकता है? कोर्ट ने कहा कुछ लोगों ने आत्महत्या की है, बूढ़े और महिलाएं आंदोलन का हिस्सा हैं. ये क्या हो रहा है? हम फिलहाल इन कृषि कानूनों को निरस्त करने की बात नहीं कर रहे हैं; यह एक बहुत ही नाजुक स्थिति है.

हम नहीं जानते कि आप समाधान का हिस्सा हैं या समस्या का हिस्सा हैं. इसका इरादा बातचीत के हल को देखना था, लेकिन कृषि कानूनों को होल्ड पर रखने की इच्छा पर केंद्र की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं थी. एक भी याचिका दायर नहीं की गई है, जिसमें कहा गया है कि खेत कानून अच्छे हैं. हम कानूनों के क्रियान्वयन में बने रहेंगे. आप विरोध को आगे बढ़ा सकते हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या विरोध उसी जगह पर होना चाहिए? अगर कुछ गलत हुआ तो हममें से हर एक जिम्मेदार होगा. हम अपने हाथ किसी के खून से नहीं रंगना चाहते. हम नहीं जानते हैं कि लोग सोशल डिस्टेंसिंग फ़ॉलो कर रहे हैं या नहीं? लेकिन हम उनके (किसानों) भोजन और पानी के बारे में चिंतित हैं. अगर केंद्र कृषि कानूनों के कार्यान्वयन को रोकना नहीं चाहता है, तो हम इस पर रोक लगा देंगे. आपको विश्वास है या नहीं, हम भारत के सर्वोच्च न्यायालय हैं, हम अपना काम करेंगे. भारत संघ को इस सब की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. आप (केंद्र) कानून ला रहे हैं और आप इसे बेहतर तरीके से कर सकते हैं. यह भी पढ़ें: Farmers Protest: किसान आंदोलन 40वें दिन जारी, सातवें दौर की अहम वार्ता आज

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7 जनवरी को केंद्र और किसान यूनियनों के बीच आठवें दौर की बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला, केंद्र किसान कानूनों को निरस्त करने के लिए तैयार नहीं है, जिसके बाद किसानों ने कहा है कि वे आखिरी वक्त तक डंटे रहेंगे.

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा सोमवार को सुनवाई पर जोर दिया गया क्योंकि केंद्र और किसान नेता 15 जनवरी को अपनी अगली बैठक आयोजित करने वाले हैं. शीर्ष अदालत जिसने देखा था कि किसानों के विरोध के संबंध में जमीन पर कोई सुधार नहीं हुआ है, केंद्र द्वारा सुनवाई की अंतिम तारीख को कहा गया था कि, सभी मुद्दों पर सरकार और यूनियनों के बीच "स्वस्थ चर्चा" चल रही थी और इस बात की अच्छी संभावना थी कि निकट भविष्य में दोनों पक्ष एक निष्कर्ष पर आ सकते हैं.