बिहार में वोटर वेरिफिकेशन जारी रहेगा, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को इस बड़ी शर्त के साथ दी इजाजत
सुप्रीम कोर्ट (Photo: Wikimedia Commons)

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग (Election Commission of India) को एक बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने चुनाव आयोग को बिहार में वोटर लिस्ट को अपडेट करने का काम जारी रखने की इजाजत दे दी है. बिहार में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं, और उसी के लिए यह "स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन" (SIR) यानी खास तौर पर वोटर लिस्ट को सुधारने और अपडेट करने का काम चल रहा है.

कोर्ट ने क्या कहा?

यह मामला जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जयमाल्य बागची की बेंच के सामने सुनवाई के लिए आया. सुप्रीम कोर्ट ने पहली नज़र में यह माना कि न्याय के हित में यह ज़रूरी है कि चुनाव आयोग वोटर लिस्ट अपडेट करते समय कुछ ज़रूरी दस्तावेजों पर भी विचार करे.

कोर्ट ने सलाह दी है कि इस प्रक्रिया के दौरान लोगों को अपनी पहचान साबित करने के लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड जैसे दस्तावेज़ इस्तेमाल करने की छूट मिलनी चाहिए.

किसने दी थी चुनौती?

चुनाव आयोग के इस कदम को कई विपक्षी दलों के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उनका मानना था कि इस प्रक्रिया में कुछ खामियां हैं.

याचिका दायर करने वालों में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा, कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, एनसीपी (शरद पवार गुट) की सुप्रिया सुले, समाजवादी पार्टी के हरिंदर मलिक और शिवसेना (UBT) के अरविंद सावंत जैसे कई बड़े नेता शामिल हैं. इनके अलावा सीपीआई, जेएमएम, सीपीआई (माले) और डीएमके जैसी पार्टियों ने भी इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे.

सुप्रीम कोर्ट आज इन सभी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. फिलहाल, कोर्ट के इस आदेश के बाद चुनाव आयोग बिहार में अपना काम जारी रख सकता है, लेकिन उसे कोर्ट की सलाह पर भी गौर करना होगा. मामले की अगली सुनवाई  28 जुलाई को होगी.