केरल: वायनाड में प्रकृति ने ऐसा कहर बरपाया है कि उसके घाव शायद कभी न भर सकें. वायनाड के हर कोने में विनाश के भयानक दृश्य नजर आ रहे हैं. 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई घायल अभी भी इलाज करा रहे हैं. जहां भी नजर डालें, ढही हुई इमारतें, बर्बाद घर और विशाल चट्टानें इस तबाही की कहानी बयान कर रही हैं. एक तरफ, केरल से लोगों की दर्दनाक कहानियां सामने आ रही हैं, वहीं दूसरी ओर, यह एक अजीब संयोग है कि एक स्कूली छात्रा द्वारा लिखी गई कहानी में केरल में इसी तरह की तबाही का जिक्र है.
स्कूली छात्रा की भविष्यवाणी
केरल के शिक्षा प्रौद्योगिकी परियोजना (KITE) के तहत लिटिल काइट्स पहल में हाल ही में स्कूल में 'वेल्लाराम कल्लुक्कल' नामक एक डिजिटल पत्रिका प्रकाशित की गई. इसमें 14 वर्षीय छात्रा लाया द्वारा लिखी गई कहानी 'आग्रहातिंते दुरानुभवम' (इच्छा की त्रासदी) प्रकाशित हुई थी, जिसमें दो लड़कियों, अलंक्रुथा और अनस्वरा की कहानी थी. ये लड़कियां स्कूल के बाद अपने गांव में नदी के किनारे टहलने जाती हैं और झरने तक पहुंचती हैं. इस दौरान, जब दोनों झरने की खूबसूरती को निहार रही होती हैं, तो एक अनोखा पक्षी वहां आता है और कहता है, "बच्चो, यहां से जल्दी भाग जाओ क्योंकि एक बड़ा खतरा आने वाला है. अगर तुम सुरक्षित रहना चाहती हो तो तुरंत भाग जाओ."
पक्षी की चेतावनी
कहानी में, पक्षी की चेतावनी सुनकर बच्चे तेजी से दौड़ने लगते हैं. लाया ने अपनी कहानी में लिखा है कि एक लड़की झरने में डूब जाती है, लेकिन वह एक पक्षी के रूप में वापस आकर उन्हें चेतावनी देती है. वह कहती है, "बच्चो, यहां से भाग जाओ क्योंकि आगे खतरा है." बच्चे भाग जाते हैं, लेकिन जब वे पहाड़ी की ओर देखते हैं, तो वे देखते हैं कि पहाड़ी से बारिश का पानी बह रहा है. और वे देखते हैं कि वह पक्षी एक खूबसूरत लड़की में बदल जाता है जो उन्हें चेतावनी देने के लिए वापस आई थी. यह एक अजीब संयोग है कि कहानी में बताई गई इसी तरह की तबाही केरल में आ गई है.
वायनाड में तबाही
मंगलवार को वायनाड, केरल में बारिश और भूस्खलन ने गांवों को तहस-नहस कर दिया. बारिश के कारण हुए विशाल भूस्खलन ने मुंडक्काई, चूरलाममला, अट्टमाला और नूलपुझा गांवों को बुरी तरह प्रभावित किया. भूस्खलन के समय अधिकांश लोग अपने घरों में सो रहे थे. इस भूस्खलन ने वायनाड जिले में भारी तबाही मचाई है. केरल उन छह राज्यों में से एक है जो पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण और संवेदनशील हैं.
वायनाड की इस त्रासदी ने न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया है. इस घटना ने यह भी दिखाया है कि प्रकृति के प्रति हमारे संवेदनशील होने की आवश्यकता है और हमें पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझना होगा.