दिल्ली-एनसीआर में देर रात भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं. दिल्ली के साथ यूपी-बिहार में भी भूकंप आया है. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई है. इससे पहले 22 अक्टूबर को दिल्ली में भूंकप के झटके महसूस किए गए थे. इसकी तीव्रता 6.1 थी. भूकंप के झटकों के बाद लोग अपने घर के बाहर निकल आए. जानकारी के मुताबिक देर रात 11.32 बजे भूकंप के झटके लगे. भूकंप का केंद्र नेपाल था.
दिल्ली में अब तक आया सबसे बड़ा भूकंप 27 अगस्त, 1960 को 5.6 तीव्रता का भूकंप था. भूकंप का केंद्र दिल्ली-गुरुग्राम सीमा पर स्थित था. भूकंप से दिल्ली में संपत्ति को काफी नुकसान हुआ, जिसमें कई इमारतें ढह गईं. हताहतों की भी खबरें थीं, लेकिन सटीक संख्या अज्ञात है.
दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र IV में स्थित है, जिसका अर्थ है कि यहां भूकंप का बहुत अधिक खतरा है. यह शहर कई फॉल्ट लाइनों के पास भी स्थित है, जो इसे और भी असुरक्षित बनाता है. हाल के वर्षों में, दिल्ली में 4 या उससे अधिक तीव्रता के कई भूकंप महसूस किए गए हैं. इन भूकंपों से संपत्ति को मामूली नुकसान हुआ है, लेकिन किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है.
Strong earthquake tremors felt in Delhi#Delhi #DelhiNCR #Earthquake pic.twitter.com/w5H13QpWAL
— News18 (@CNNnews18) November 3, 2023
भूकंप आने के वक्त यदि आप घर में हैं, तो...
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- फर्श पर बैठ जाएं, मज़बूत टेबल या किसी फर्नीचर के नीचे पनाह लें...
- टेबल न होने पर हाथ से चेहरे और सिर को ढक लें...
- घर के किसी कोने में चले जाएं, और कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें...
- बिस्तर पर हैं, तो लेटे रहें, तकिये से सिर ढक लें...
- आसपास भारी फर्नीचर हो, तो उससे दूर रहें...
- लिफ्ट का इस्तेमाल करने से बचें, लिफ्ट भूकंप के दौरान पेंडुलम की तरह हिलकर दीवार से टकरा सकती है, और बिजली जाने से रुक भी सकती है...
- सीढ़ियों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि आमतौर पर इमारतों में बनी सीढ़ियां मज़बूत नहीं होतीं...
- झटके आने तक घर के अंदर ही रहें, और झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें...
इन सबके बावजूद अगर बदकिस्मती से आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं, तो...
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- माचिस हरगिज़ न जलाएं, क्योंकि इस दौरान गैस लीक का खतरा हो सकता है...
- कतई न हिलें, और धूल न उड़ाएं...
- किसी रूमाल या कपड़े से चेहरा ज़रूर ढक लें...
- किसी पाइप या दीवार को ठकठकाते रहें, ताकि बचाव दल आपको तलाश सके...
- यदि कोई सीटी उपलब्ध हो, तो उसे बजाते रहें...
- यदि कोई और ज़रिया न हो, तो चिल्लाते रहें, हालांकि चिल्लाने से धूल मुंह के भीतर जाने का खतरा रहता है, सो, सावधान रहें..