Saumya Vishwanathan Murder Case: 15 साल बाद फैसला! पत्रकार सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस में सभी आरोपी दोषी करार
Saumya Vishwanathan | X

नई दिल्ली: दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 2008 में टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन (Saumya Vishwanathan) की हत्या मामले में बुधवार 18 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाया. इस मामले में कोर्ट ने आरोपी हत्यारों को दोषी करार दिया. पत्रकार हत्याकांड में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने चारों आरोपियों को दोषी करार दिया है. पांचवें आरोपी को मामले में अन्य अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है. सभी पांच आरोपियों को मकोका (MCOCA) के तहत भी दोषी ठहराया गया है. फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में आजम खान, अब्दुल्ला और तंजीम फातिमा दोषी करार, तीनों को 7-7 साल की कैद.

सौम्या विश्वनाथन की 15 साल पहले काम से घर लौटते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र कुमार पांडे ने रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत और अजय कुमार को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) के प्रावधानों के तहत भी दोषी ठहराया.

30 सितंबर, 2008 को हुई थी हत्या

विश्वनाथन 30 सितंबर, 2008 को जब रात साढ़े तीन बजे अपनी कार से घर लौट रही थीं, उसी दौरान उनकी नेल्सन मंडेला मार्ग पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जब सौम्या काफी देर तक घर नहीं पहुंची, तो उसके पिता एमके विश्वनाथन उसे लगातार फोन करने लगे. सुबह 4 बजे एक पुलिस वाले फोन उठाया. सौम्या को गोली लगने के बाद उनकी कार बेकाबू होकर डिवाइडर और पोल से जा टकराई. सौम्या के सिर से खून बह रहा था.

शुरुआत में पुलिस को यह एक्सिडेंट का केस लगा, लेकिन पोस्टमॉर्टम से खबर मिली कि सौम्या की मौत सिर में गोली लगने से हुई थी. 30 सितंबर 2008 को वसंत कुंज थाने में एफआईआर नंबर 481 के तहत मर्डर केस दर्ज हुआ.पुलिस ने दावा किया था कि इस हत्या का मकसद लूटपाट था.

हत्या के सिलसिले में 5 व्यक्तियों रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक, अजय कुमार और अजय सेठी को गिरफ्तार किया गया था और वे मार्च 2009 से हिरासत में हैं. पुलिस ने उसकी हत्या का कारण डकैती बताया था और आरोपियों पर कठोर महाराष्ट्र संगठित अपराध रोकथाम अधिनियम (मकोका) लगाया था.

कैसे खुला हत्या का राज?

17 मार्च 2009 को वसंत विहार से कॉलसेंटर की इग्जेक्युटिव जिगिषा घोष का अपहरण और मर्डर हो गया. सौम्या की तरह वह भी रात में ऑफिस से अपने घर वापस आ रही थीं. जिगिषा मर्डर केस के आरोपियों तक पहुंचने के बाद पुलिस को पता चला कि इन्होंने ही छह महीने पहले सौम्या का मर्डर किया था. सभी को गिरफ्तार कर उन पर मकोका लगा दिया गया.

क्या होता है मकोका?

दिल्ली सरकार ने 2002 में मकोका कानून को लागू किया था. मकोका के तहत संगठित अपराध जैसे अंडरवर्ल्ड से जुड़े अपराधी, जबरन वसूली, फिरौती के लिए अपहरण, हत्या या हत्या की कोशिश, धमकी, उगाही जैसे मामले शामिल किए गए हैं. मकोका के बाद आरोपियों को जमानत मिलना आसान नहीं होता है.