हैदराबाद: 12वीं की परीक्षा में फेल होने के बाद पिछले एक सप्ताह के दौरान तेलंगाना में 19 विद्यार्थियों ने आत्महत्या कर ली है. मीडिया रिपोर्ट्स से यह जानकारी मिली है. मामले में कोई आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, अखबारों और चैनलों ने बताया है कि पिछले गुरुवार तक इंटरमीडिएट के पहले और दूसरे वर्ष (कक्षा 11 और 12) के 19 विद्यार्थियों ने अपनी जीवनलीला को समाप्त कर लिया है.
यह हाल के वर्षो में इंटरमीडिएट के विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या करने की सबसे अधिक संख्या है, विपक्षी दलों ने आत्महत्या के लिए तेलंगाना बोर्ड ऑफ इंटरमीडिएट एजुकेशन (टीबीआईई) को और उसके द्वारा की गई खामियों को दोषी ठहराया. 18-19 वर्ष की आयु के तीन छात्रों ने आत्महत्या कर ली, जबकि एक छात्र बुधवार को लापता हो गया. अपना जीवन समाप्त करने वालों में मेडक जिले का चकली राजू शामिल था. इंटरमीडिएट के दूसरे वर्ष में अर्थशास्त्र और नागरिक शास्त्र में असफल होने से निराश होकर उसने अपने घर पर फांसी लगा ली.
उनके बारे में कहा जाता था कि उसने अपने कॉलेज में प्रथम वर्ष में तीसरी रैंक हासिल की, लेकिन दूसरे वर्ष में कम अंक हासिल किए. यादाद्रि भोंगीर जिले की 18 साल की अकरम मीठी ने भी खुद को फांसी लगा ली क्योंकि वह दूसरे वर्ष में जूलॉजी और फिजिक्स के पेपर में फेल हो गई थी. निजामाबाद जिले की शैलजा ने आत्महत्या कर ली क्योंकि इंटरमीडिएट परीक्षा में उसे अपेक्षित अंक नहीं मिले. एमपीसी (गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान) की छात्रा ने 1,000 में से 847 अंक हासिल किए, लेकिन वह अपने प्रदर्शन से खुश नहीं थी.
इंटरमीडिएट प्रथम वर्ष की परीक्षा में असफल हुए उमेश चंद्र ने वारंगल में परिणाम घोषित किए जाने वाले दिन अपना घर छोड़ दिया और अभी तक घर नहीं लौटा. परेशान अभिभावकों ने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई है. टीबीआईई ने 18 अप्रैल को परिणामों की घोषणा की. जिसके बाद से उनके द्वारा की गई गड़बड़ियों से छात्रों और उनके अभिभावकों की नाराजगी बढ़ गई. इसने कुछ छात्रों को अवसाद में डाल दिया और इसके परिणामस्वरुप उन्हें यह कदम उठाना पड़ा.
सरकार परिणाम घोषित करने में होने वाली गड़बड़ी की जांच के लिए पहले ही तीन सदस्यीय समिति का गठन कर चुकी है. पैनल एक आईटी कंपनी द्वारा विकसित और कार्यान्वित प्रणाली को देख रहा है, जिसकी सेवाएं टीबीआईई द्वारा किराए पर ली गई थीं. उपद्रव और आत्महत्याओं ने विपक्षी दलों और छात्र समूहों द्वारा विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. खामियों को स्वीकार करते हुए, टीबीआईई ने छात्रों को आश्वासन दिया कि इन्हें ठीक किया जाएगा.
यह मुद्दा सरकार की शमिर्ंदगी का कारण बना, मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने बुधवार को मामले में हस्तक्षेप किया. राव ने घोषणा की कि परीक्षा में असफल रहने वाले सभी छात्रों के लिए नि:शुल्क उत्तर पुस्तिकाओं का पुन: सत्यापन किया जायेगा. अन्य छात्रों के लिए, निर्धारित शुल्क और मौजूदा नियमों और विनियमों के अनुसार पुन: सत्यापन किया जाएगा. फरवरी-मार्च में आयोजित इंटरमीडिएट परीक्षाओं में कुल 9.74 लाख छात्र उपस्थित हुए थे और इनमें से 3.28 लाख छात्र फेल हुए हैं.