भारत की मेजबानी में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक

भारत मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ सम्मेलन की मेजबानी करेगा.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

भारत मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ सम्मेलन की मेजबानी करेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सहयोग के संगठन के काउंसिल ऑफ हेड्स की बैठक होगी.सदस्य देशों के सरकार प्रमुखों की ऑनलाइन सम्मेलन की थीम है, 'एक सुरक्षित (सिक्योर) एससीओ की ओर'. सिक्योर का संक्षिप्त नाम भारतीय प्रधान मंत्री ने 2018 में एससीओ के किंगदाओ शिखर सम्मेलन में रखा था. सिक्योर के अंग्रेजी स्पेलिंग के हिसाब से इसमें अर्थव्यवस्था और व्यापार, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और पर्यावरण शामिल हैं.

कौन- कौन शामिल होगा?

सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ शामिल होंगे. एससीओ की बैठक में रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के नेताओं को भी बुलाया गया है.

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ईरान, बेलारूस और मंगोलिया को एससीओ काउंसिल की 23वीं बैठक में पर्यवेक्षक के रूप में बुलाया गया है. इसके साथ ही 6 अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों - संयुक्त राष्ट्र, आसियान, सीआईएस, सीएसटीओ, ईएईयू और सीआईसीए के प्रमुखों को भी आमंत्रित किया गया है. तुर्कमेनिस्तान को भी गेस्ट ऑफ चेयर के रूप में बुलाया गया है.

शंघाई सहयोग संगठन क्या है?

शंघाई सहयोग संगठन एक स्थायी अंतरसरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसका लक्ष्य यूरेशिया में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखना है.

2003 में एससीओ चार्टर पर हस्ताक्षर करके औपचारिक रूप से अस्तित्व में आया. वर्तमान में, इसमें 8 सदस्य देश हैं. कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत, पाकिस्तान और ईरान. यह एक राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संगठन है.

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भारत और पाकिस्तान 2017 में सदस्य बने. हालांकि, भारत 2005 में एससीओ में शामिल हुआ और 2017 में अस्ताना शिखर सम्मेलन में समूह का पूर्ण सदस्य बना.

भारत का फोकस क्या है?

भारत पूर्व, पश्चिमी और मध्य एशियाई देशों से अपने संबंध में संतुलन लाने पर ध्यान देगा. रैंड कॉर्पोरेशन में इंडो-पैसिफिक विश्लेषक डेरेक ग्रॉसमैन ने समाचार एजेंसी एपी से कहा, "भारत इस प्रकार की विदेश नीति में विश्वास रखता है, जिसमें वह एक ही समय में सभी के साथ डील करता है.'' .

विश्लेषकों के मुताबिक, भारत इस दौरान अपने हितों को सुरक्षित करने की कोशिश करेगा. इसमें संभवतः "सीमा पार आतंकवाद" से लड़ने की जरूरत पर जोर दिया जाएगा और पाकिस्तान पर पाक अधिकृत कश्मीर में हिंसा करने के मामले को उठाएगा.

चीन के संदर्भ में भारत क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने की जरूरत पर भी बोल सकता है. भारत और चीन के बीच तीन साल से विवाद चल रहा है, जिसमें पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में विवादित सीमा पर हजारों सैनिक तैनात हैं.

पीवाई/एसबी(एपी)

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