Scrub Typhus: मथुरा में मुसीबत बनी स्क्रब टाइफस कौन सी बीमारी है? जानें इस घातक इन्फेक्शन के लक्षण और बचाव का तरीका

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मथुरा में इन दिनों मिस्ट्री फीवर खूब चर्चा में है, दरअसल यह स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus) है. जिले में इस बीमारी ने दो दर्जन से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

लखनऊ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मथुरा (Mathura) में इन दिनों मिस्ट्री फीवर खूब चर्चा में है, दरअसल यह घातक स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus) है. जिले में इस बीमारी ने दो दर्जन से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है. प्राथमिक जांच में 'स्क्रब टाइफस' कहे जाने वाले माइट जनित रिकेट्सियोसिस के 29 मामलों की पुष्टी हो चुकी है. इन में दो से 45 वर्ष की आयु के संक्रमित शामिल है. Scrub Typhus: नगालैंड के नोकलाक जिले में ‘स्क्रब टाइफस’ बीमारी का प्रकोप, अब तक 5 की मौत

स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक एके सिंह ने कहा, "मथुरा जिले में स्क्रब टाइफस के कम से कम 29 मामले सामने आए हैं. रोगियों को आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराई गई हैं और उनमें से कोई भी गंभीर नहीं है. मने अन्य जिलों में इसके फैलने के संबंध में अलर्ट जारी किया है." उन्होंने बताया "इसका जल्दी निदान महत्वपूर्ण है. मरीजों को एंटीबायोटिक्स पर रखा जाता है और वे एक सप्ताह के उपचार के बाद पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं."

स्क्रब टाइफस क्या है?

स्क्रब टाइफस संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से लोगों में फैलता है. इसे 'बुश टाइफस' (Bush Typhus) भी कहा जाता है. स्क्रब टाइफस ऑरेंटिया सुतसुगामुसी जीवाणु (Bacterium Orintia Tsutsugamushi) के कारण होने वाली एक गंभीर बीमारी है जो मिट्टी में मौजूद संक्रमित लार्वा घुन के काटने से फैलता है. विशेषज्ञ स्क्रब टाइफस को दो सौ साल पुरानी वायरस से होने वाली बीमारी बताते है. सामान्य तौर पर चूहों के शरीर पर पाए जाने वाले जीवाणु (ओरियंटा सुसु कैमोसी) के कारण यह बीमारी होती है.

संक्रमण के लक्षण

सबसे आम लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द और कभी-कभी शरीर पर दाने होना शामिल हैं. कुछ मामलों में शरीर पर सूखे चकते भी हो सकते हैं. सांस फूलना, खांसी, जी मितलाना, उल्टी होना भी संक्रमण के अन्य लक्षण है. इसलिए ऐसे लक्षण होने पर लोगों को तुरंत ही उपचार कराना चाहिए. जबकि गंभीर मामलों में, यह न्यूमोनाइटिस, एन्सेफलाइटिस, भ्रम से लेकर कोमा तक के मानसिक परिवर्तन, कंजेस्टिव दिल की विफलता और संचार पतन का परिणाम हो सकता है.

लापरवाही साबित होगी घातक

लोग साफ-सफाई पर ध्यान देने के साथ चूहों से बचाव कर इस बीमारी की चपेट में आने से बच सकते है. इस बीमारी से घबराने की जरूतर नहीं हैं क्योंकि इसका इलाज है, समय पर यदि बीमारी का पता चल जाए, तो इसे ठीक किया जा सकता है. मगर लापरवाही बरतने पर यह बीमारी गंभीर रुप ले लेती है. समय पर उपचार होने से बीमारी पांच दिन में ही ठीक हो जाती है.

बचाव के तरीकें

लोग साफ-सफाई पर ध्यान देने के साथ चूहों से बचाव कर इस बीमारी की चपेट में आने से बच सकते है. स्क्रब टाइफस बीमारी चूहा, छछून्दर गिलहरी आदि से फैलती है, इसलिए इनके द्वारा कुतरे गए फल अथवा खाए गए खाद्य पदार्थ का सेवन न करें. जब भी फल आदि खाएं तो उसे धोकर खाना चाहिए, खाना खुला न छोड़ें.

चिकित्सकों के अनुसार इससे बचने के लिए खेतों में काम करते समय हाथ-पैर को ढक कर रखना चाहिए एवं साफ सफाई का पालन करना चाहिए. बुखार आने पर जांच जरूर कराएं, इस बीमारी में सर्तकता ही सबसे बड़ा उपचार है, समय रहते यदि बीमारी को पकड़ लिया जाए, तो इससे बचा जा सकता है.

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