SCO Summit 2025: पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक, आपसी सहयोग पर रहा फोकस
पीएम मोदी (Photo Credits ANI)

तियानजिन, 31 अगस्त : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक की. इस दौरान दोनों नेताओं ने पिछले साल कजान में हुई अपनी बैठक के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर कर इस बैठक में उठाए मुद्दों पर बात की.

उन्होंने लिखा, "प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के तियानजिन में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने पिछले साल कजान में हुई अपनी बैठक के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा की. भारत और चीन के बीच स्थिर और मैत्रीपूर्ण संबंध हमारी आर्थिक वृद्धि, सुधरे हुए बहुपक्षीय व्यवस्था और एक बहुध्रुवीय विश्व तथा एशिया के लिए महत्वपूर्ण हैं. सीमा से जुड़े मामलों पर जिस तरह दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि काम कर रहे हैं, इसकी भी सराहना की गई. पीपल-टू-पीपल एक्सचेंज प्रोग्राम को और बढ़ावा देने पर सहमति जताई. भारत और चीन के बीच अनुमानित आर्थिक और व्यापारिक सहयोग विश्व अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद करता है." यह भी पढ़ें : SCO Summit: एससीओ समिट से पहले बोले पुतिन, ‘सबसे बेहतर दौर में रूस-चीन संबंध, ब्रिक्स को मजबूत करने पर कर रहे काम’

विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों नेताओं ने अक्टूबर 2024 में कजान में हुई अपनी पिछली बैठक के बाद से भारत-चीन संबंधों में सकारात्मक प्रगति और स्थिरता का स्वागत किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देश विकास साझेदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं और मतभेदों को विवाद में नहीं बदलना चाहिए. दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि भारत और चीन के 2.8 अरब लोगों के बीच आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता पर आधारित स्थिर संबंध और सहयोग विकास के साथ-साथ 21वीं सदी के रुझानों के अनुरूप बहुध्रुवीय विश्व और बहुध्रुवीय एशिया के लिए आवश्यक है.

इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया. दोनों नेताओं ने पिछले वर्ष सैनिकों की वापसी और तब से सीमा पर शांति बनाए रखने की कोशिशों की सराहना की. उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को आपसी समझ, पारस्परिक सहयोग और दोनों देशों के नागरिकों के हितों को ध्यान में रख सुलझाने पर जोर दिया.

विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों नेताओं ने कैलाश मानसरोवर यात्रा और पर्यटक वीजा की बहाली के आधार पर सीधी उड़ानों और वीजा सुविधा के माध्यम से लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता पर ध्यान दिया. साथ ही दोनों अर्थव्यवस्थाओं की विश्व व्यापार को स्थिर करने में भूमिका को स्वीकार किया. उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों को विस्तार देने और व्यापार घाटे को कम करने के लिए राजनीतिक और रणनीतिक दिशा से आगे बढ़ने की आवश्यकता पर जोर दिया.

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और चीन दोनों रणनीतिक स्वायत्तता का पालन करते हैं और उनके संबंधों को किसी तीसरे देश के दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए. दोनों नेताओं ने बहुपक्षीय मंचों पर आतंकवाद जैसी बड़ी चुनौतियों से निपटने और निष्पक्ष व्यापार (जैसे द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों) पर मिलकर आगे बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया.

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पीएम ने एससीओ की अध्यक्षता और तियानजिन शिखर सम्मेलन के लिए चीन को समर्थन व्यक्त किया. उन्होंने राष्ट्रपति शी को भारत में (2026)आयोजित होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया. राष्ट्रपति शी ने निमंत्रण के लिए आभार जताया और ब्रिक्स में भारत की अध्यक्षता के लिए चीन के समर्थन का आश्वासन दिया. प्रधानमंत्री ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की पोलित ब्यूरो स्थायी समिति के सदस्य काई क्यूई से भी मुलाकात की. उन्होंने काई के साथ द्विपक्षीय संबंधों के लिए अपना विजन साझा किया.