सुप्रीम कोर्ट ने राजकोट के COVID-19 अस्पताल में 6 मरीजों की मौत को 'शॉकिंग' कहा
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात के राजकोट के एक कोविड अस्पताल में आग लगने की घटना में 6 मरीजों की मौत होने को स्तब्ध कर देने वाली घटना बताया.
नई दिल्ली, 27 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को गुजरात (Gujarat) के राजकोट (Rajkot) के एक कोविड अस्पताल में आग लगने की घटना में 6 मरीजों की मौत होने को स्तब्ध कर देने वाली घटना बताया. इस घटना पर नाराजगी जताते हुए न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ ने इसे 'स्तब्ध कर देने वाला' करार दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि गुजरात सरकार को जवाबदेह देना चाहिए. पीठ जिसमें न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी (Subhash Reddy) और एम.आर. शाह (MR Shah) भी शामिल रहे, ने कहा कि मामले में सिर्फ जांच और रिपोर्ट नहीं हो सकती.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने कहा, "जो लोग जिम्मेदार हैं, उन्हें कठघरे में लाना चाहिए." सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 रोगियों के समुचित इलाज और अस्पतालों में शवों की गरिमा को बनाए रखने के संबंध में स्वत: संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां कीं. राजकोट के कोविड अस्पताल में लगी आग में आईसीयू में भर्ती छह मरीजों की मौत हो गई. शीर्ष अदालत ने कहा कि अस्पतालों में आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और मरीजों की मौत हो रही है और आग से बचाव के लिए राज्यों द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया है.
यह भी पढ़े: Rajkot Fire: गुजरात के राजकोट के COVID अस्पताल में लगी भीषण आग, 5 मरीजों की झुलसकर मौत.
शीर्ष अदालत ने केंद्र, साथ ही गुजरात सरकार से 1 दिसंबर तक जवाब मांगा. शीर्ष अदालत ने कोविड-19 महामारी के बीच कहा कि 80 प्रतिशत लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं और बाकी जो मास्क पहनते हैं, वे ठीक से नहीं पहनते. मास्क उनके जबड़े से नीचे लटकते रहते हैं.
पीठ ने कहा कि चीजें खराब से बदतर होती जा रही हैं और केंद्र और राज्य सरकारों को महामारी के मरीजों की संख्या में वृद्धि रोकने के लिए दिशानिर्देशों को ठोस रूप से लागू करना चाहिए. शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि टीके की अनुपस्थिति में महामारी से लड़ने के लिए मानक प्राथमिकता होनी चाहिए.