हाल ही में, सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 की धारा 2(1)(s), जो एकल महिलाओं को सरोगेट मां के रूप में सेवा करने से रोकती है, को अदालत में चुनौती दी गई थी और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार की राय मांगी थी. जिस धारा पर विवाद किया जा रहा है, उसके अनुसार, एक भारतीय महिला को सरोगेसी के लिए "इच्छुक महिला" तभी माना जा सकता है, जब वह विधवा या तलाकशुदा हो और उसकी उम्र 35 से 45 वर्ष के बीच हो. 44 वर्षीय एकल महिला ने याचिका दायर की है , यह तर्क देते हुए कि यह खंड अनुच्छेद 14 और 21 के तहत याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और "अत्यधिक तर्कहीन, गैरकानूनी रूप से भेदभावपूर्ण और उल्लंघनकारी है." HC on Love Marriage: ये है समाज का काला चेहरा! लव मैरिज के विरोध में लड़की के माता-पिता ने लड़के को झूठे केस में फंसाया, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार.
याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा, "विज्ञान भले ही विकसित हो गया है, लेकिन समाज नहीं विकसित हुआ है...आप अपने जीवन में सब कुछ नहीं पा सकते. आपने शादी नहीं करने का फैसला किया...यहां विवाह संस्था के तहत मां बनना एक आदर्श है. हम इसे लेकर चिंतित हैं. क्या देश में विवाह संस्था जीवित रहनी चाहिए या नहीं? हम पश्चिमी देशों की तरह नहीं हैं. विवाह संस्था की रक्षा करनी होगी. आप हमें रूढ़िवादी का टैग दें, और हम इसे स्वीकार करते हैं."
You decided not to marry: Supreme Court on plea by 44-year-old unmarried woman challenging Surrogacy Act and Rules
reports @DebayonRoy https://t.co/GdVDSQHBmn
— Bar & Bench (@barandbench) February 11, 2024
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