Allahabad High Court on Love Marriage: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि भारत में अभी भी ऐसे माता-पिता हैं जो अपने बच्चों द्वारा बिना उनकी स्वीकृति के किए गए प्रेम विवाह का विरोध करने के लिए झूठे आपराधिक मामले दर्ज कराने की हद तक जा सकते हैं.
न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने कहा कि यह "समाज का काला चेहरा" है. एक महिला के माता-पिता ने उसकी शादी का विरोध करते हुए उसके पति के खिलाफ अपहरण का प्राथमिकी दर्ज कराई थी.
75 साल बाद भी हम इसी मुद्दे पर लड़ रहे हैं
अदालत ने कहा, "यह हमारे समाज के काले चेहरे का एक स्पष्ट मामला है. आज भी, जब बच्चे अपनी मर्जी से शादी करते हैं, तो उनके माता-पिता परिवार और समाज के दबाव में उनकी शादी को स्वीकार नहीं करते और लड़के के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की हद तक चले जाते हैं. अदालत ने कहा कि यह सामाजिक बुराई इतनी गहरी जड़ें जमा चुकी है कि आजादी के 75 साल बाद भी हम इसी मुद्दे पर लड़ रहे हैं."
"Dark face of society, deep-rooted social menace:" Allahabad High Court criticizes parents for not accepting daughter's love marriage, filing FIR against son-in-law
report by @whattalawyer#AllahabadHighCourt #Marriagehttps://t.co/0JAKLhLuy8
— Bar & Bench (@barandbench) February 8, 2024
यौन उत्पीड़न का आरोप
अदालत एक ऐसे व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर उसकी पत्नी के अपहरण का आरोप लगाया गया था. पत्नी के पिता द्वारा दर्ज की गई आपराधिक शिकायत में उस व्यक्ति पर पोक्सो अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न का अपराध करने का भी आरोप लगाया गया था.
शादी के बाद कपल साथ रह रहा था
आरोपी पुरुष के वकील ने प्रस्तुत किया कि उनकी शादी के बाद, वह और उसकी पत्नी एक साथ रह रहे थे. वकील ने कहा कि पत्नी के पिता ने शादी को अस्वीकार करने के कारण आपराधिक शिकायत दर्ज कराई.
खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा था कपल
इन दलीलों का समर्थन पत्नी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने किया, जिसने कहा कि उसने आरोपी से शादी की है और वे एक साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मामला इसलिए दर्ज किया गया क्योंकि उनके पिता उनकी शादी को स्वीकार नहीं करते थे. इन दलीलों का राज्य के वकील ने कोई विरोध नहीं किया.
मुकदमा खारिज
अदालत ने आरोपी व्यक्ति के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले माफत लाल और अन्य बनाम राजस्थान राज्य पर भरोसा करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा कि, "यह हमारे समाज में सबसे बड़ी बाधा है लेकिन कानून की आवश्यकता है कि जब दोनों पक्ष सहमत हो गए हों और अब वे अपने छोटे बच्चे के साथ खुशी से पति-पत्नी के रूप में रह रहे हों, तो इस शादी को स्वीकार करने में कोई बाधा नहीं हो सकती."
अदालत ने आरोपी व्यक्ति (आवेदक) की याचिका को स्वीकार कर लिया और उसके खिलाफ मामले को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा, "चूंकि आवेदक और प्रतिवादी संख्या 3 (पत्नी) खुशी से पति-पत्नी के रूप में साथ रह रहे हैं, इसलिए आवेदक पर मुकदमा चलाने का कोई उपयोगी उद्देश्य नहीं होगा."