Caste Based Census: जाति आधारित जनगणना की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जारी किया नोटिस, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग से भी मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने पिछड़े वर्गों के लिए जाति-आधारित जनगणना करने के लिए दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसके बाद अदालत ने भारत संघ, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और अन्य को नोटिस जारी कर इसका जवाब मांगा है. आखिरी बार देश में जनगणना साल 2011 में हुई थी, जिसके बाद इस साल जनगणना कराई जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: ANI)

Caste Based Census: भारत में हर 10 साल बाद जनगणना (Census) कराई जाती है, आखिरी बार देश में जनगणना साल 2011 में हुई थी, जिसके बाद इस साल यानी 2021 में जनगणना कराई जाएगी. हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar Chief Minister Nitish Kumar) ने देश में जाति-आधारित जनगणना (Caste Based Census) की मांग करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार बिहार फॉर्मूले का अनुसरण करते हुए आरक्षण में से अति पिछड़ी जातियों यानी ईबीसी के लिए अलग से कोटा तय कर दे. वहीं जाति-आधारित जनगणना से जुड़ी जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज सुनवाई हुई है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग से भी इस संदर्भ में जवाब मांगा है.

न्यूज एजेंसी एएनआई की खबर के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने पिछड़े वर्गों के लिए जाति-आधारित जनगणना करने के लिए दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसके बाद अदालत ने भारत संघ (Union Of India), राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes) और अन्य को नोटिस जारी कर इसका जवाब मांगा है.

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बता दें कि साल 2017 में ओबीसी के भीतर उप-वर्गीकरण के मुद्दे को देखने के लिए एक आयोग की स्थापना की गई थी. कई विस्तार के बाद इस महीने की शुरुआत में आयोग ने अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें केंद्रीय सूची में शामिल 2633 ओबीसी जातियों को 27 फीसदी कोटा के 2, 6, 9 और 10 फीसदी में विभाजित करने के लिए चार उप-श्रेणियों में रखा गया. बताया जा रहा है कि यह पुरानी जाति की जनगणना के अनुमानों पर आधारित है, जो आखिरी बार 1931 में किया गया था. विभिन्न जातियों की वास्तविक ताकत पर फिलहाल कोई आधिकारिक डेटा उपलब्ध नहीं है. यह भी पढ़ें: केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने देश में जातीय आधार पर जनगणना करने की मांग की

गौरतलब है कि साल 2011 तक भारत में 15 बार जनगणना की जा चुकी है. साल 1872 में पहली बार ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड मेयो के अधीन जनगणना कराई गई थी. उसके बाद से हर 10 साल में जनगणना कराई जाने लगी. हालांकि भारत की पहली संपूर्ण जनगणना साल 1881 में हुई थी और साल 1949 के बाद से जनगणना भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त द्वारा कराई जाती है.

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