शिवसेना नेता संजय राउत का बड़ा आरोप, कहा- INS विक्रांत को बचाने के लिए जमा किए गए पैसे का BJP नेता ने किया गबन

शिवसेना सांसद संजय राउत ने बुधवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने कथित तौर पर देश के पहले विमानवाहक पोत 'आईएनएस विक्रांत' को बचाने के लिए जमा की गई राशि में 58 करोड़ रुपये का घोटाला किया

संजय राउत (Photo Credits ANI)

मुंबई: शिवसेना सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने बुधवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (BJP)  के पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने कथित तौर पर देश के पहले विमानवाहक पोत 'आईएनएस विक्रांत' (INS Vikrant) को बचाने के लिए जमा की गई राशि में 58 करोड़ रुपये का घोटाला किया.  राउत ने कहा कि यह खुलासा महाराष्ट्र राजभवन द्वारा मार्च में धीरेंद्र उपाध्याय नामक कार्यकर्ता को सौंपे गए आरटीआई के एक जवाब में हुआ है, जो सोमैया और उनके समर्थकों के "देशद्रोह" को उजागर करता है.

कार्यकर्ता ने 2013-2014 में 'विक्रांत' को बचाने के लिए जनता, सेवानिवृत्त और सेवारत रक्षा कर्मियों और अधिकारियों के जुटाए गए धन का विवरण मांगा था. राउत ने कहा, "सोमैया ने धन उगाहने वालों के साथ मदद करने की पेशकश की थी और कहा था कि जमा की गई राशि को राजभवन में महाराष्ट्र के राज्यपाल को सौंप दिया जाएगा. राजभवन ने कहा है कि उन्हें ऐसा कोई धन प्राप्त नहीं हुआ. यह भी पढ़े: ED की कार्रवाई को लेकर केंद्र पर भड़के संजय राउत, किरीट सोमैया पर लगाया बड़ा आरोप

सोमैया ने जवाब में मंगलवार को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी पत्नी और दोस्तों के खिलाफ कार्रवाई होने के बाद राउत केवल "टाइम-पास" कर रहे हैं. "उन्होंने मेरी पत्नी, मेरे परिवार और मुझ पर कई आरोप लगाए. अगर उनके पास मेरे खिलाफ कोई सबूत है तो उन्हें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सौंप देना चाहिए.

सोमैया को एक "कीड़े" के रूप में संबोधन करते हुए राउत ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार "विक्रांत को बचाने" के लिए धन के दुरुपयोग की जांच करेगी. उन्होंने कहा कि सोमैया एक चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं जो जानते हैं कि इस तरह के पैसे को कैसे पचाना है और मांग की कि केंद्रीय एजेंसियां भी इस मामले की निष्पक्ष जांच करे.

1997 में आईएनएस विक्रांत के निष्क्रिय होने के बाद, इसे 2012 तक एक संग्रहालय के रूप में संरक्षित किया गया था, जिसके बाद इसे बचाने के लिए धन की जरूरत थी. उस समय सोमैया ने धन उगाहने वाले अभियान की मदद करने की पेशकश की थी जिसमें अनुमानित रूप से 57-58 करोड़ रुपये जमा किए गए थे जो राजभवन को सौंपे जाने थे. अब राउत ने कहा कि इतने सालों के बाद आरटीआई के जरिए यह बात सामने आई है कि राजभवन को कभी फंड मिला ही नहीं.

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