Samay Raina Controversy: दिव्यांगों का मजाक उड़ाना सहीं नहीं, ऐसा करने वालों को मांगनी पड़ेगी माफी; सुप्रीम कोर्ट
Samay Raina, ANI (Photo Credits: X)

नई दिल्ली, 25 अगस्त : दिव्यांगों और गंभीर शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे व्यक्तियों का मजाक उड़ाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बेहद अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने स्टैंडअप कमीडियन्स समय रैना, विपुल गोयल, बलराज घई, सोनाली ठक्कर और निशांत तंवर को अपने यूट्यूब चैनल पर माफी मांगने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने साफ कहा है कि कॉमेडी के नाम पर किसी की तकलीफ का मजाक नहीं उड़ाया जा सकता. यह न तो सामाजिक रूप से सही है और न ही कानूनी रूप से. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह माफी सिर्फ दिखावे की न हो, बल्कि सच्चे मन से होनी चाहिए ताकि इससे समाज में एक सकारात्मक संदेश जाए. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि हम किसी की शारीरिक कमजोरी या बीमारी का मजाक उड़ाएं. यह भी पढ़ें : UP International Trade Show: 25 से 29 सितंबर तक इंडिया एक्सपो मार्ट में उपलब्धियों और योजनाओं का अनोखा संगम

इस मामले की सुनवाई के दौरान सभी कॉमेडियन्स कोर्ट में मौजूद रहे. वहीं सोनाली ठक्कर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुईं, जबकि बाकी कलाकार व्यक्तिगत रूप से उपस्थित थे. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस बात पर भी नाराजगी जताई कि जब इन कलाकारों के खिलाफ शिकायत हुई तो पहले उन्होंने अपना बचाव करने की कोशिश की, न कि तुरंत माफी मांगी. अदालत ने यह रवैया गैर-जिम्मेदाराना बताया और कहा कि जब किसी की भावनाएं आहत हों, तो सबसे पहला कदम सच्चे मन से माफी मांगना होना चाहिए.

इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह सोशल मीडिया के लिए स्पष्ट गाइडलाइंस बनाए. कोर्ट ने कहा कि ऐसी नीतियां बननी चाहिए जो सिर्फ एक घटना से निपटने के लिए नहीं, बल्कि आने वाले समय की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई जाएं. इसके लिए सभी स्टेकहोल्डर्स यानी कंटेंट क्रिएटर्स, प्लेटफॉर्म्स, सरकारी एजेंसियां और आम लोगों की राय ली जानी चाहिए ताकि एक मजबूत कानून बन सके.

अदालत ने यह भी कहा कि जब सोशल मीडिया कमाई का एक जरिया बन चुका है, तो इसके साथ जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है. किसी भी व्यक्ति को, चाहे वह कितना भी लोकप्रिय क्यों न हो, यह अधिकार नहीं है कि वह दूसरों की भावनाओं को चोट पहुंचाकर कंटेंट बनाए. सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स को कहा कि वे एक हलफनामा दाखिल करें, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि वे अपने प्लेटफॉर्म का उपयोग दिव्यांगजनों के अधिकारों और सम्मान के लिए कैसे करेंगे.

बता दें कि स्टैंडअप कमीडियन समय रैना और अन्य कमीडियन्स के कुछ वीडियो सामने आए थे, जिनमें उन्होंने 'स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी' के पीड़ितों और नेत्रहीनों का मजाक उड़ाया था. एक फाउंडेशन ने इस पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और कहा कि इस तरह का मजाक दिव्यांगजनों के सम्मान के खिलाफ है. यह सिर्फ कुछ वीडियोज की बात नहीं है, बल्कि एक गलत प्रवृत्ति बनती जा रही है जिसमें समाज के कमजोर वर्गों को हंसी का पात्र बनाया जा रहा है.