
नई दिल्ली: हाल ही में भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक बड़ा खुलासा हुआ है. सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के साथ भारत के इस चार दिवसीय युद्ध में तुर्की ने न केवल समर्थन दिया, बल्कि 350 से ज्यादा ड्रोन और सैन्य ऑपरेटिव्स भी भेजे. इस ऑपरेशन के दौरान दो तुर्की सैन्य अधिकारियों की मौत भी हुई है. यह जानकारी सामने आने के बाद भारत में सुरक्षा एजेंसियों और नीति-निर्माताओं की चिंता बढ़ गई है. भारत के खुफिया सूत्रों ने बताया कि तुर्की के सैन्य सलाहकारों ने पाकिस्तानी सेना को ड्रोन हमलों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने में सहायता की.
पाकिस्तान ने भारत पर जो ड्रोन हमले किए, उनमें Bayraktar TB2 और YIHA जैसे एडवांस्ड तुर्की ड्रोन शामिल थे. इन ड्रोनों का उपयोग खासकर भारत के अग्रिम मोर्चों और सप्लाई कॉनवॉय पर नजर रखने और संभावित हमलों के लिए किया गया.
एक रात में 400 ड्रोन से हमला
7 और 8 मई की रात पाकिस्तान ने 300 से 400 तुर्की निर्मित ड्रोन भारत के उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए भेजे. सेना की प्रवक्ता कर्नल सोफिया कुरैशी ने जानकारी दी कि इन ड्रोनों के मलबे की जांच से पता चला है कि ये तुर्की के Asisguard Songar ड्रोन हैं. सेना ने कई ड्रोनों को "काइनेटिक" और "नॉन-काइनेटिक" तरीकों से गिराया. यह हमला भारतीय वायु सुरक्षा प्रणाली की क्षमता को परखने और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश थी.
भारत ने तुर्की के न्यूज चैनल TRT का X अकाउंट किया ब्लॉक
तुर्की द्वारा पाकिस्तान को सैन्य समर्थन दिए जाने के बाद भारत ने सख्त कदम उठाते हुए तुर्की के सरकारी समाचार चैनल TRT के X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट को ब्लॉक कर दिया है. इसके अलावा भारत ने चीन के दो सरकारी चैनलों – Xinhua और Global Times – के अकाउंट्स को भी ब्लॉक किया, क्योंकि वे भारत-विरोधी और पाक-समर्थक दुष्प्रचार फैला रहे थे.
भारत से तुर्की को निर्यात ने बढ़ाया खतरा?
विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 के बाद भारत से तुर्की को बढ़ता निर्यात भी इस खतरे की जड़ बन सकता है. एल्युमिनियम, ऑटो पार्ट्स, टेलिकॉम उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी जैसे उत्पादों के निर्यात से तुर्की ने अपनी ड्रोन निर्माण क्षमता को बढ़ाया है. यहीं से यह भी सवाल उठता है कि क्या भारत अपने व्यापारिक संबंधों की समीक्षा करेगा?