Red Fort Attack Case: तिहाड़ जेल ने आतंकी की फांसी के लिए कोर्ट से किया आग्रह

लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक के लिए मौत की सजा की तारीख को अंतिम रूप देने के लिए दिल्ली के तिहाड़ जेल अधिकारियों ने तीस हजारी अदालत को लिखा है.

देश IANS|
Red Fort Attack Case: तिहाड़ जेल ने आतंकी की फांसी के लिए कोर्ट से किया आग्रह
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नई दिल्ली, 20 फरवरी : लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक (Mohammad Arif alias Ashfaq) के लिए मौत की सजा की तारीख को अंतिम रूप देने के लिए दिल्ली के तिहाड़ जेल अधिकारियों ने तीस हजारी अदालत को लिखा है. सुप्रीम कोर्ट ने साल 2000 लाल किला हमले के मामले में अशफाक को दी गई मौत की सजा के खिलाफ उसकी समीक्षा याचिका खारिज कर दी थी. जेल अधिकारियों ने 3 फरवरी को एएसजे ओपी सैनी की अदालत को पत्र भेजा. सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दया याचिका के लिए आरिफ के सामने विकल्प खत्म हो गए हैं.

22 दिसंबर, 2000 को लाल किले पर हुए हमले में सेना के दो जवानों और एक नागरिक की जान चली गई थी. हमले के तीन दिन बाद आरिफ को गिरफ्तार किया गया था. कॉल रिकॉर्ड और हमले में इस्तेमाल हथियार के जरिए इसका पता लगाया गया. पिछले साल 3 नवंबर को, सर्वोच्च न्यायालय ने आरिफ की समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे आरिफ के पक्ष में लिया जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, तथ्य यह है कि भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता पर सीधा हमला हर तरह से काफी अधिक है. यह भी पढ़ें : Uttarakhand: कर्णप्रयाग में फटी दीवारें देख डीएम भी हुए हैरान, कभी भी गिर सकते हैं 28 मकान

28 अप्रैल 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने आरिफ की फांसी पर रोक लगा दी थी. लेकिन 10 अगस्त, 2011 को उसकी मौत की सजा को बरकरार रखा और सत्र अदालत द्वारा उसे दी गई मौत की सजा को चुनौती देने वाली उसकी अपील को खारिज कर दिया और दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा इसकी पुष्टि की गई थी. 2016 में, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी समीक्षा याचिका पर फिर से सुनवाई करने का फैसला किया था.

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नई दिल्ली, 20 फरवरी : लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक (Mohammad Arif alias Ashfaq) के लिए मौत की सजा की तारीख को अंतिम रूप देने के लिए दिल्ली के तिहाड़ जेल अधिकारियों ने तीस हजारी अदालत को लिखा है. सुप्रीम कोर्ट ने साल 2000 लाल किला हमले के मामले में अशफाक को दी गई मौत की सजा के खिलाफ उसकी समीक्षा याचिका खारिज कर दी थी. जेल अधिकारियों ने 3 फरवरी को एएसजे ओपी सैनी की अदालत को पत्र भेजा. सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दया याचिका के लिए आरिफ के सामने विकल्प खत्म हो गए हैं.

22 दिसंबर, 2000 को लाल किले पर हुए हमले में सेना के दो जवानों और एक नागरिक की जान चली गई थी. हमले के तीन दिन बाद आरिफ को गिरफ्तार किया गया था. कॉल रिकॉर्ड और हमले में इस्तेमाल हथियार के जरिए इसका पता लगाया गया. पिछले साल 3 नवंबर को, सर्वोच्च न्यायालय ने आरिफ की समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे आरिफ के पक्ष में लिया जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, तथ्य यह है कि भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता पर सीधा हमला हर तरह से काफी अधिक है. यह भी पढ़ें : Uttarakhand: कर्णप्रयाग में फटी दीवारें देख डीएम भी हुए हैरान, कभी भी गिर सकते हैं 28 मकान

28 अप्रैल 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने आरिफ की फांसी पर रोक लगा दी थी. लेकिन 10 अगस्त, 2011 को उसकी मौत की सजा को बरकरार रखा और सत्र अदालत द्वारा उसे दी गई मौत की सजा को चुनौती देने वाली उसकी अपील को खारिज कर दिया और दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा इसकी पुष्टि की गई थी. 2016 में, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी समीक्षा याचिका पर फिर से सुनवाई करने का फैसला किया था.

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