RBI Monetary Policy: लोगों को फिर से झटका देने की तैयारी में रिजर्व बैंक, बढ़ सकता है EMI का बोझ
RBI representational image (Photo Credit- PTI)

RBI Monetary Policy 2023: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) नए फाइनेंशियल ईयर में पहली बार अपनी पहली मॉनिटरी पॉलिसी का ऐलान करने जा रहा है. गुरुवार सुबह इस पॉलिसी (RBI Policy) का ऐलान होगा. ऐसा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में एमसीपी प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की और वृद्धि का फैसला कर सकती है. विश्लेषकों का मानना है कि इसके साथ ही मई, 2022 से शुरू हुआ ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला थम जाएगा.

छह सदस्यों वाली समिति ने ब्याज दरों पर क्या फैसला किया है, इस बारे में गवर्नर गुरुवार को बताएंगे. RBI मई 2022 से लगातार रेपो रेट में बढ़ोतरी कर रही है. केंद्रीय बैंक मई, 2022 से रेपो दर में 2.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर चुका है. इसके बावजूद मुद्रास्फीति ज्यादातर समय रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है.

बढ़ सकता है रेपो रेट 

नवंबर और दिसंबर, 2022 में छह प्रतिशत से नीचे रहने के बाद खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में आरबीआई के संतोषजनक स्तर को पार कर गई. ऐसे में केंद्रीय बैंक की कार्रवाई जरूरी है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में 6.52 प्रतिशत और फरवरी में 6.44 प्रतिशत थी. विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंक गुरुवार को रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करेगा, और शायद इसके साथ ही ब्याज दर में बढ़ोतरी का सिलसिला थम जाएगा.

फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में रिजर्व बैंक कुल मिलाकर MPC की 6 मीटिंग करेगी. बता दें कि हाल ही में US फेडरल रिजर्व, यूरोपियन सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैंड समेत कई विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों ने भी महंगाई को कम करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है.

क्या है रेपो रेट

आसान शब्दों में समझें तो रेपो रेट का मतलब है रिजर्व बैंक द्वारा अन्य बैकों को दिए जाने वाले कर्ज की दर. बैंक इस चार्ज से अपने ग्राहकों को लोन प्रदान करता है. जिस तरह लोग अपनी जरूरतों के लिए बैंकों से पैसा लेकर ब्याज चुकाते हैं. उसी तरह सभी बैंक, आरबीआई (RBI) से लोन लेते हैं. आरबीआई जिस दर पर बैंकों को कर्ज देता है, उसे ही रेपो रेट (Repo Rate) कहा जाता है.