केरल की प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर हिंसक प्रदर्शन जारी है. बरीमाला में स्थित भगवान अय्यप्पा के मंदिर में महिलाओं को प्रवेश के लिए आयु प्रमाणपत्र दिखाना पड़ता था. इस मंदिर में 10 वर्ष से 50 वर्ष तक की महिलाओं को प्रवेश नहीं दिया जाता था. दरअसल महिलाओं के उस समूह को मंदिर में प्रवेश से रोका जाता है जिन्हें माहवारी होती है. ऐसी मान्यता है कि बारहवीं सदी में बने इस मंदिर में महिलाओं को इसलिए नहीं जाने दिया जाता था क्योकि भगवान अयप्पा खुद ब्रहमचारी थे. इसी बात को लेकर अब काफी विवाद चल रहा है.
इस विवाद को लेकर अब रजनीकांत ने मीडिया को अपना बयान दिया है. चेन्नई एयरपोर्ट पर अपनी फिल्म 'पेट्टा' की शूटिंग से लौटते समय रजनीकांत ने मीडिया से बात की. उन्होंने कहा, "हमें हर मंदिर के अद्भुद ट्रेडिशन का सम्मान करना चाहिए. महिलाओं को भी सामान्य हक मिले, इस पर किसी भी तरह की विवादित चर्चा नहीं की जा रही है. लेकिन जब बात मंदिर की आती है तो हर मंदिर की अपनी ही एक परंपरा है जिसका पालन सालों से होता आ रहा है. ये मेरी विनम्र प्रार्थना है कि इन मामलों में किसी को दखल नहीं देना चाहिए."
इसके बाद जब एक पत्रकार ने पूछा तो क्या सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को नजरंदाज कर देना चाहिए? तो उन्होंने कहा, "मैं ये नहीं कह रहा हूं कि हमें इसे नजर अंदाज कर देना चाहिए. लेकिन धर्म और प्रथाओं से जुड़े मामलों में सावधानी बरतनी चाहिए."