रायपुर: चुनाव आयोग ने 2018 के आखिर में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में होने जा रहे चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है. जिसके बाद से ना केवल सभी राजनितिक पार्टिया बल्कि प्रशासन भी पूरे दमखम के साथ चुनाव की तैयारियों में लगा हुआ है. इस बीच नक्सल प्रभावित इलाकों में रहनेवाले लोगों ने चुनाव आयोग से गुजारिश की है कि वोटिंग के दौरान उनकी उंगली पर स्याही न लगाई जाए.
दरअसल छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. वहीं बस्तर के लोगों ने नक्सलियों के डर से प्रशासन से एक खास मांग की है. स्थानीय लोगों ने वोटर जागरूकता अभियान के दौरान बीजापुर और सुकमा कलेक्टर को बताया कि हम वोटिंग करना चाहते हैं, लेकिन नक्सलियों का डर है. इसलिए वोट डालने के दौरान उंगली पर स्याही न लगाई जाए. क्योकि स्याही लगाने से नक्सलियों को पता चल जाएगा कि किसने वोट डाला है और उसे देखकर नक्सली मार देंगे.
मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सुब्रत साहू ने बताया कि नक्सल क्षेत्र में वोटरों की उंगली पर स्याही न लगाने का सुझाव आया है. यह मामला अभी विचाराधीन है, आयोग मतदान की तारीख के समय ही अंतिम फैसला लेगा.
छत्तीसगढ़ में आयोग ने नक्सलवाद की समस्या को देखते हुए दो चरणों में चुनाव कराने का फैसला किया है. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित दक्षिणी भाग के 18 विधानसभा क्षेत्रों में 12 नवंबर को चुनाव होंगे और बाकी 72 सीटों पर 20 नवंबर को चुनाव होंगे.
शनिवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओम प्रकाश रावत ने कहा, "पहले चरण में, राज्य के दक्षिणी भाग में 18 विधानसभा क्षेत्रों में 12 नवंबर को मतदान होंगे. ये क्षेत्र नक्सल प्रभावित हैं. बाकी बचे 72 विधानसभा क्षेत्रों में 20 नवंबर को मतदान होंगे."
गौरतलब है कि नक्सलियों ने हर बार की तरह इस बार भी चुनाव को बहिष्कार करने के लिए कहा है. इसके लिए जगह-जगह पोस्टर भी लगाए गए हैं. पिछले चुनावों में देखा गया है कि नक्सली गांव-गांव में जाकर लोगों के हाथ देखते है. और उंगली पर स्याही मिलने पर हत्या तक कर दी जाती है.