Rahul Gandhi Defamation Case: सजा के खिलाफ राहुल गांधी को अंतरिम राहत नहीं, गुजरात HC ने पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मानहानि के मामले में दोषी ठहराए जाने के संबंध में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, दोषी ठहराए जाने के कारण उन्हें संसद सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराया गया था.

Rahul Gandhi (Photo Credit: Times of India)

अहमदाबाद, 2 मई: गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मानहानि के मामले में दोषी ठहराए जाने के संबंध में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, दोषी ठहराए जाने के कारण उन्हें संसद सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराया गया था. राहुल गांधी ने गुजरात उच्च न्यायालय से सजा पर अंतरिम रोक लगाने की अपील की, जब तक कि अदालत अपना फैसला नहीं सुना लेती. हालांकि, मामले की सुनवाई कर रहे एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने अपना फैसला चार जून को समाप्त हो रहे ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद तक के लिए टाल दिया है. यह भी पढ़ें: Rahul Gandhi Defamation Case: सजा के खिलाफ रोक को लेकर राहुल गांधी की गुजरात HC में सुनवाई पूरी, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

29 अप्रैल को, राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में अपनी दलील देते हुए कहा था कि जिस कथित अपराध के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोषी ठहराया गया है और दो साल की जेल की सजा सुनाई गई है, वह न तो गंभीर है और न ही इसमें नैतिक कदाचार शामिल है.

यह मामला कर्नाटक के कोलार में 2019 की एक रैली से जुड़ा है, जहां राहुल गांधी ने कहा था: नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी. सभी चोरों का उपनाम 'मोदी' कैसे हो सकता है? इस टिप्पणी पर सूरत के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया.

गांधी को सूरत की एक अदालत ने दो साल की जेल की सजा सुनाई थी, जिसके कारण उन्हें संसद सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराया गया था. पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस प्रच्छक ने इस बात पर जोर दिया था कि जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते राहुल गांधी को बयान देते समय अधिक सतर्क रहना चाहिए था.

इस साल की शुरूआत में, सूरत में सत्र न्यायालय ने राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा उनकी सजा को निलंबित करने की मांग की गई थी, जिसमें कहा गया था कि उनकी अयोग्यता से उन्हें अपरिवर्तनीय नुकसान नहीं होगा.

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