राफेल डील पर हुई अहम सुनवाई में मोदी सरकार को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- डील की कीमतों पर अभी चर्चा की जरुरत नहीं
सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: PTI/File Image)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को राफेल डील की कीमत और उसके सौदे से जुड़ी निर्णय प्रक्रिया पर सुनवाई हुई. इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान डील पर केंद्र सरकार को कुछ राहत दी है. उच्चतम न्यायलय ने कहा- जब तक हम तय नहीं करते तब तक सरकार को इस विमान की कीमत पर याचिकाकर्ताओं के विवादों का जवाब देने की जरूरत नहीं है. सीजेआई रंजन गोगोई की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने मामले सुनवाई की. बता दें कि केंद्र ने पिछली सुनवाई में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत और उसके फायदे के बारे में कोर्ट को सीलबंद दो लिफाफों में रिपोर्ट सौंपी थी.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने अपनी दलील में कहा- राफेल डील में बदलाव किया गया क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते थे कि इसे अंबानी की कंपनी को दिया जाए. प्रशांत भूषण ने सुनवाई के दौरान दावा किया कि इस डील में भ्रष्टाचार हुआ. उन्होंने कड़े शब्दों में सवाल किया कि आखिर 36 राफेल विमानों की कीमत बताने से देश की सुरक्षा को आखिर कैसे नुकसान होगा? कोर्ट ने इस पर उन्हें कड़ी फटकार लगा दी. सीजेआई ने कहा कि आप जितना जरूरी हो, उतना ही बोलिए. यह भी पढ़ें- राफेल पर चल रहे सियासी घमासान के बीच जारी हुआ लड़ाकू विमान का FIRST LOOK, देखें VIDEO

अंबानी को डील दिए जाने पर उठाए सवाल 

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने प्रशांत भूषण की खिंचाई की. सीजेआई ने भूषण के नोट में गलतियों की ओर इशारा किया. जिस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि नोट जल्दबादी में तैयार किया गया. इस पर सीजेआई ने कहा-'जल्दबाजी में मत पड़िए मिस्टर भूषण'. प्रशात भूषण ने अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट कंपनी बनाए जाने पर आपत्ति जताई है. उन्होंने दलील दी कि डील में एक ऐसी कंपनी को भागीदार बनाया गया जिसका इस क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है.

यूपीए सरकार से 40 फीसदी महंगी है डील

सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कहा कि, “सरकार जब संसद में डील की कीमतें बता चुकी है, तब कैसी गोपनीयता? मोदी सरकार का यह बेवजह यह तर्क दे रही है कि वह 36 विमानों के दामों का खुलासा नहीं कर सकती, जबकि नई डील में राफेल विमान पहले के मुकाबले 40 फीसदी महंगा है.”

याचिकाकर्ता के वकील एमएल शर्मा ने कोर्ट से कहा कि सरकार की ओर से अदालत में पेश की गई रिपोर्ट से खुलासा होता है कि यह एक गंभीर घोटाला है. उन्होंने यह केस पांच जजों की बेंच के पास ट्रांसफर करने की अपील की. याचिकाकर्ता के वकील एमएल शर्मा ने कोर्ट से कहा कि सरकार की ओर से अदालत में पेश की गई रिपोर्ट से खुलासा होता है कि यह एक गंभीर घोटाला है. उन्होंने यह केस पांच जजों की बेंच के पास ट्रांसफर करने की अपील की.