Pt Jawaharlal Nehru Jayanti 2022: पं जवाहरलाल नेहरू के जीवन से जुड़े कुछ खट्टे-मीठे और रोचक किस्से! यहां पढ़े डिटेल्स
14 नवंबर का दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिवस के रूप में जाना जाता है. पं. नेहरू चाहते थे कि उनका जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाए, क्योंकि उन्हें बच्चों से बहुत प्यार था. बच्चे उन्हें 'चाचा नेहरू' के नाम से पुकारते थे
Pt Jawaharlal Nehru Jayanti 2022: 14 नवंबर का दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिवस के रूप में जाना जाता है. पं. नेहरू चाहते थे कि उनका जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाए, क्योंकि उन्हें बच्चों से बहुत प्यार था. बच्चे उन्हें 'चाचा नेहरू' के नाम से पुकारते थे. आज उनकी 133वीं जयंती पर हम बात करेंगे पं. जवाहर लाल नेहरू के जीवन से जुड़े कुछ खट्टे-मीठे और रोचक पहलुओं पर, जिसे उनके संपूर्ण व्यक्तित्व को समझा जा सकता है.
पंडित नेहरू का जन्म प्रयागराज (इलाहाबाद) में 14 नवंबर 1889 को पं. मोतीलाल नेहरू के घर में हुआ था. मोतीलाल प्रख्यात बैरिस्टर और समाजसेवी थे, तथा माता स्वरूपरानी नेहरू समाजसेवी थीं. पं नेहरू ने दुनिया के बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की थी. स्कूली शिक्षा हैरो से और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज (लंदन) से पूरी की. तत्पश्चात लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की. इंग्लैंड में उन्होंने 7 साल के दरम्यान फैबियन समाजवाद और आयरिश राष्ट्रवाद के लिए एक तर्कसंगत दृष्टिकोण विकसित किया. साल 1912 में वह भारत लौटे और वकालत शुरू की. 26 वर्षीय पंडित नेहरू का विवाह 7 फरवरी 1916 को 16 वर्षीया कश्मीरी ब्राह्मण कमला नेहरू से हुई थी. यह भी पढ़े: Jawaharlal Nehru Jayanti 2022 Greetings: पंडित जवाहरलाल नेहरू जयंती की इन HD Images, WhatsApp Stickers, SMS, Wallpapers के जरिए दें शुभकामनाएं
चंद्रशेखर आजाद ने नेहरू से क्यों मांगे थे 12 सौ रुपये उधार
कहते हैं कि एक बार क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद अपने साथियों के साथ विशेष कार्यवश रूस जाना चाहते थे. रुपयों की व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्होंने पंडित नेहरू से 12 सौ रुपये उधार मांगे कि वे विदेश से लौटकर शीघ्र चुका देंगे. कहा जाता है कि नेहरू ने इंकार कर दिया था.
सुभाष चंद्र बोस की 20 सालों तक जासूसी करवाई
पंडित जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस के बीच बहुत कम मधुर रिश्ते रहे हैं. माना जाता है कि सुभाष चंद्र बोस की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए नेहरू जी ने उनकी 20 सालों तक गोपनीय तरीके से जासूसी करवाई थी.
गौ-हत्या का विरोध
नेहरू जी भी गो-हत्या के सख्त विरोधी थे. एक बार संसद सभा के दौरान सदन में गो-हत्या का प्रस्ताव रखा गया, तब नेहरूजी ने सख्त लहजे में कहा था कि अगर गो- हत्या का प्रस्ताव हुआ तो मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा.
गरीबों के प्रति दरियादिली
नेहरूजी कमजोर और गरीबों के प्रति हमेशा विनम्र रवैया रखते थे. फरवरी 1950, में राजस्थान में जब नेहरू के स्वागत में उनके मंच को हरी सब्जियों से सजाया गया था, यह देखकर वे बहुत नाराज हुए थे. उन्होंने सारी सब्जियों को गरीबों में बंटवा दिया.
राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सोमनाथ मंदिर जाने से रोका था?
सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार को लेकर नेहरू जी हमेशा विवादों में रहे हैं. उन्होंने सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण के मुद्दे पर सौराष्ट्र के मुख्यमंत्री को स्पष्ट पत्र लिखा था कि सोमनाथ मंदिर के लिए सरकारी फंड का इस्तेमाल नहीं किया जाए. उन्होंने 1951 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन पर न जाने की सलाह दी थी, मगर डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उनकी सलाह नहीं मानी.
नेहरू जी ने पटेल और अंबेडकर के विरोध के बावजूद शेख अब्दुल्ला के कहने पर धारा 360 तैयार करवाया
लार्ड माउंटबेटन ने नेहरू को इस बात के लिए राजी करवाया था कि वह जम्मू-कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले जायें. उधर शेख अब्दुल्ला कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को नापसंद करने और स्वयं कश्मीर का शासक बनने के लिए नेहरू को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने के लिए राजी कर लिया था. धारा 370 का विरोध ना केवल तत्कालीन उप प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री सरदार पटेल को अंधेरे में रखा, बल्कि धारा 370 का विरोध कर रहे संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर को नजर अंदाज कर धारा 370 जैसा खतरनाक धारा को लागू किया.