नई दिल्ली: हरियाणा के सोनीपत में राष्ट्रपति से सम्मानित हो चुके एक जाने-माने वैद्य वीरचंद जैन ने आत्महत्या कर ली. उन्होंने गन्नौर रेलवे स्टेशन पर तेज गति से आ रही एक मालगाड़ी के सामने कूदकर जान दे दी. मौके पर पुलिस ने उनके बैग से एक सुसाइड नोट भी बरामद किया है. यह सुसाइड नोट पुलिस को हैरान कर देने वाला था. दरअसल वीरचंद जैन ने अपने सुसाइड नोट में पुलिस को ही जिम्मेदार ठहराया है.
वैद्य वीरचंद जैन ने अपने सुसाइड नोट में गन्नौर थाने के पूर्व थाना प्रभारी देवेंद्र, कांस्टेबल सतीश, शमशेर, और रीडर लोकेश उत्पीड़न का आरोप लगाया है. जैन ने सुसाइड नोट में लिखा कि इन पुलिसकर्मियों ने उनकी बेटी के मामले को दबा दिया.
उन्होंने लिखा है कि उनकी बेटी आरती जैन (26) जनवरी 2017 में जैन मंदिर में जाने के लिए निकली थी, जो घर नहीं लौटी. 29 फरवरी 2017 को एक युवती का शव राजलूगढ़ी माइनर में मिला. मैं उसकी पहचान करने पहुंचा. पुलिस ने डीएनए जांच कराई, लेकिन रिपोर्ट तक नहीं दी गई. गन्नौर थाने में इंस्पेक्टर रहे देवेंद्र, शमेशर, सतीश व रीडर लोकेश ने मामले में सही कार्रवाई नहीं की. मामला सांठ-गांठ करके दबा दिया गया. बेटी का आज तक पुलिस पता नहीं लगा पाई. पुलिसकर्मियों ने कार्रवाई करने के बजाय मुझे धमकाया. हम दोनों अपनी जिंदगी खत्म करने जा रहे हैं. यह भी पढ़ें- बिहार: निर्दयी पिता ने दो साल की बेटी की पटकर ली जान
रेलवे पुलिस को गुरुवार सुबह रेलवे ट्रैक पर पुलिस को एक बुजुर्ग के आत्महत्या करने की सूचना मिली थी. जिस पर रेलवे पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया. शव की पहचान गन्नौर स्थित शास्त्री नगर कॉलोनी निवासी वीरचंद जैन के रूप में हुई थी. उनके बेटे राकेश जैन ने चार पुलिस कर्मियों पर उसके पिता को परेशान करने का आरोप लगाया है.
65 वर्षीय वैद्य वीरचंद जैन गन्नौर कस्बे के शास्त्री नगर में किराए पर रहते थे. उनके काम के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका था. वीरचंद ने मध्यप्रदेश के हरदास कुशवाह का ब्लड कैंसर का उपचार किया था. जिसके चलते तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने उन्हें दिल्ली में 17 सितंबर, 1994 को सम्मानित किया था.