राष्ट्रवाद और कट्टरता की ओर बढ़ रहे पूर्वी जर्मनी के युवा
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी के पूर्वी इलाकों में नाजी प्रतीकों की नुमाइश अब आम हो चुकी है. डीडब्ल्यू ने जर्मन शहर, डेसाउ में इस बढ़ती कट्टरता के पीछे के कारण जानने की कोशिश की.जर्मनी के पूर्वी राज्य सैक्सनी-अनहाल्ट के डेसाउ शहर में दक्षिणपंथी कट्टरतपंथ और नस्लभेद बहुत तेजी से फैल रहा है. शहर की सड़कों पर चिन्हों के रूप में अब यह कट्टरता साफ देखी जा सकती हैं. नाजी प्रतीक (स्वास्तिक), हिटलर के समर्थन में बनाए गए चित्र और नफरत भरे नारे दीवारों पर आम हो रहे हैं.

और अब यह समस्या केवल डेसाउ तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे जर्मनी में, खासकर पूर्वी इलाकों में यह एक चलन सा बनता जा रहा है. मई में जर्मनी की फेडरल क्रिमिनल पुलिस के प्रमुख होल्गर म्यूनिख ने चेतावनी दी कि काफी कम उम्र के बच्चे भी अब दक्षिणपंथीऔर हिंसक विचारों की ओर जा रहे हैं और कुछ तो अपराध करने के लिए ग्रुप भी बना रहे हैं.

डेसाउ में दक्षिणपंथी सोच के खिलाफ काम करने वाली संस्था प्रोजेक्ट गेगेनपार्ट के लिए काम करने वाले लुकास योशर ने बताया, "पूर्वी जर्मनी के ग्रामीण इलाकों में ‘नाजी' होना अब पॉप कल्चर का हिस्सा बन चुका है और दीवारों पर अमेरिकी रैपर, कान्ये वेस्ट के गाने ‘हाइल हिटलर' को लिखना अब कुछ लोगों को ‘कूल' लगता है.”

आधे जर्मन लोग धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी पर प्रतिबंध के पक्ष में

डीडब्ल्यू से बात करने वाले डेसाउ के कुछ युवाओं ने यह भी माना कि उनके लिए दक्षिणपंथी सोच रखना "कूल” बात बन गई है. एक 17 साल का लड़का, जो दो लड़कियों के साथ शहर में घूम रहा था, वह स्कूल में दक्षिणपंथी कट्टरता के बारे में पूछने पर हंस पड़ता है.

उन्होंने बताया, "हिटलर की तो बहुत तारीफ होती है!” साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि स्कूल में ‘हिटलर सलाम' देना आम बात बन चुकी है और पार्टियों में "विदेशी बाहर निकलो” जैसे नारे लगाना भी सामान्य हो चुका है. 17 वर्षीय लड़के ने हंसते हुए कहा, "हम बस साथ में गा लेते हैं. इससे फर्क नहीं पड़ता कि गाना कैसा है.”

क्या नफरत और भड़काऊ बातें करना अब नया चलन है?

आखिर हालात यहां तक पहुंचे कैसे? क्योंकि कोई भी युवा एकदम से तो कट्टरपंथी नहीं बन जाता. यह एक धीमी प्रक्रिया है, जो धीरे-धीरे अपना असर दिखाती है.

डेसाउ शहर की आबादी करीब 75,000 है. यह अपने आसपास के इलाकों का मुख्य केंद्र है, लोग वहां खरीदारी और मेडिकल सुविधाओं आदि के लिए आते हैं. जर्मनी की लगभग एक-चौथाई आबादी ऐसे ही मध्यम आकार के शहरों में बसती है. पास के एक कस्बे के साथ विलय के बाद अब इस शहर का नाम डेसाउ-रॉस्लाउ हो गया है.

1990 में जब पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी का पुनः एकीकरण हुआ, तो डेसाउ के लोगों को आजादी और नए अधिकार तो मिले ही थे. लेकिन इसके साथ-साथ बड़ी आर्थिक गिरावट, भारी बेरोजगारी और बड़ी संख्या में पढ़े-लिखे युवाओं का पलायन भी हुआ. इन कारणों के चलते यह शहर धीरे धीरे छोटा होता जा रहा है.

हालांकि, सरकार ने इस क्षेत्र में काफी निवेश किया है. जर्मनी के एकीकरण के बाद से उद्योग, सड़कें, इमारतें और सांस्कृतिक संस्थाएं सुधारने में सिर्फ डेसाउ में ही अब तक लगभग एक अरब यूरो से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं. आज डेसाउ एक साफ-सुथरा और सुंदर शहर है. इसके साथ ही डेसाउ, यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट भी है क्योंकि यह वही जगह है, जहां 20वीं सदी की सबसे प्रभावशाली वास्तुकला शैली, बाउहाउस की शुरुआत हुई थी.

बाउहाउस आधुनिकता, नई शुरुआत, एक बेहतर और अधिक न्यायपूर्ण भविष्य की सोच और मानवतावाद का प्रतीक है. ठीक एक सदी पहले, बाउहाउस शैली डेसाउ शहर में पहुंची थी और आज भी इस शहर की पहचान वहां की बाउहाउस शैली की इमारतों और आवासीय परियोजनाएं ही हैं. लगभग एक हजार अंतरराष्ट्रीय छात्र यहां पढ़ते हैं. डेसाउ और इसकी यूनिवर्सिटी वैश्विक शिक्षा का एक अहम केंद्र है.

नस्लभेद और हिंसा से जूझता डेसाउ

कई बरसों से सरकार द्वारा किए गए निवेश, सांस्कृतिक प्रयासों और जागरूकता अभियानों के बावजूद, डेसाउ शहर नफरती और हिंसक घटनाओं के चलते अंतरराष्ट्रीय खबरों में सामने आ रहा है.

साल 2000 में, दक्षिणपंथी युवाओं ने अल्बर्टो एड्रियानो नाम के 39 वर्षीय व्यक्ति की बेरहमी से हत्या कर दी थी. उसे सिर्फ इसलिए पीट-पीटकर मार डाला गया क्योंकि वह काला था. इस हमले के बाद उस समय के जर्मन चांसलर, गेरहार्ड श्रोडर ने जनता से अपील की थी कि वह साहस दिखाएं और दक्षिणपंथी कट्टरता के खिलाफ खड़े हों.

पांच साल बाद, यानी 2005 में फिर से ऐसी ही घटना सामने आई. ओउरी जलोह नाम का एक शरणार्थी डेसाउ की पुलिस हिरासत में जिंदा जलकर मर गया. वह एक गद्दे से बंधा हुआ था. कई सबूत इस ओर इशारा कर रहे थे कि इसमें किसी तीसरे व्यक्ति का हाथ हो सकता है, लेकिन यह मामला कभी सुलझ नहीं पाया.

इसके दस साल बाद, 2016 में, डेसाउ की मशहूर वास्तुकला यूनिवर्सिटी में मास्टर्स कर रही चीनी छात्रा, ली यांगजी, डिग्री पूरी होने से कुछ ही दिन पहले निर्मम तरीके से मारी दी गई. 2018 में एक पुलिस अधिकारी के बेटे सेबास्टियान एफ. को इस हत्या के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई गई.

इस घटना के बाद, बर्लिन में स्थित चीनी दूतावास ने डेसाउ के लिए एक यात्रा चेतावनी जारी की. जिसमें कहा गया, "यहां के लोग परंपरागत रूप से विदेशियों के खिलाफ शत्रुतापूर्ण रवैया रखते हैं.”

एक मेयर, जो कभी नियो-नाजी विचारधारा से जुड़ा था

अब 2025 में, जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी‘अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी' (AfD) देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है और पूर्वी जर्मनी के राज्यों में वह काफी आगे है. जुलाई 2024 में, डेसाउ-रॉस्लाउ शहर का मेयर, एक कट्टरपंथी एएफडी नेता, लॉरेंस नोथडुर्फ्ट को चुना गया और हैरानी की बात यह है कि उसे अन्य राजनीतिक पार्टियों ने भी समर्थन दिया.

मेयर के रूप में, नोथडुर्फ्ट का काम है, शहर के लोगों को विशेष अवसरों पर बधाई देना और छात्रों की मौजूदगी में होने वाले स्मृति कार्यक्रमों में भाषण देना. उनका कहना है कि वह युवाओं से गहरा जुड़ाव महसूस करते हैं.

8 मई को, जब जर्मनी में नाजी शासन के अंत और द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ मनाई जा रही थी, उस दिन नोथडुर्फ्ट ने छात्रों की मौजूदगी में एक भाषण दिया. जिसके बाद वहां मौजूद लोगों ने कहा कि उसने न तो जर्मन युद्ध अपराधों का जिक्र किया और ना ही यूरोपीय यहूदियों के सामूहिक जनसंहार (होलोकॉस्ट) की बात की. जब डीडब्ल्यू ने भाषण के बारे में उनसे सवाल किया, तो नोथडुर्फ्ट ने जवाब दिया, "मेरे भाषण का मुख्य मकसद था भविष्य की ओर देखना, खास तौर पर एक सकारात्मक भविष्य की तरफ.”

1990 के दशक के आखिरी बरसों में, लॉरेंस नोथडुर्फ्ट एक धुर दक्षिणपंथी युवाओं के संगठन के नेता थे. उसका नाम था, हाइमाटट्रोए डॉयच युगेन्ड, जिसे 2009 में प्रतिबंधित कर दिया गया था क्योंकि इसकी विचारधारा हिटलर यूथ और नाजी सोच के काफी सामान थी. तकनीकी रूप से, नाजी विचारधारा से जुड़ाव रखने वाले लोग एएफडी की सदस्यता नहीं ले सकते क्योंकि पार्टी की नीति में ऐसा साफ लिखा है.

जब डीडब्ल्यू ने इस विरोधाभास के बारे में एएफडी से सवाल किया तो पार्टी ने जवाब देने से इनकार कर दिया.

सैक्सनी-अनहाल्ट राज्य में 2025 की शुरुआत में हुए आम चुनाव में एएफडी को 37 फीसदी वोट मिले, जो कि राज्य में सबसे ज्यादा हैं. अब पार्टी की नजर 2026 के प्रांतीय चुनावों में पूर्ण बहुमत पाने पर है.

दक्षिणपंथ के खिलाफ आम नागरिक

मार्कुस गैगर और उनकी पत्नी मैंडी म्युक, डेसाउ के नागरिक समूह बुंटस रॉस्लाउ (जिसका मतलब है ‘रंग-बिरंगा रॉस्लाउ') के सक्रिय सदस्य हैं. डीडब्ल्यू को दिए एक इंटरव्यू में मार्कुस ने कहा, "कट्टरपंथ अब धीरे-धीरे समाज में सामान्य और स्वीकार्य बनता जा रहा है.” इस जोड़े के लिए दुश्मनी और नफरत अब रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुकी है.

मैंडी कहती हैं, "हमें सड़कों पर गालियां दी जाती हैं, ‘लेफ्टिस्ट गंद' कह कर बुलाया जाता है. एक बार किसी ने हमारे घर की खिड़की पर बीयर की बोतल फेंक दी थी और हमारे बगीचे के गेट पर कीलें डाल दी थी. इतना ही नहीं, पड़ोसी भी हमसे दूरी बना लेते हैं. न कोई कुछ सुनता है, न कोई कुछ देखता है, और न कोई मिलने आता है.” लेकिन इस सबके बीच जो सबसे चिंताजनक है, वह है, हमलावरों की लगातार घटती उम्र.

लेकिन वह अकेले नहीं हैं. प्रोजेक्ट गेगेनपार्ट और बुंटस रॉस्लाउ के साथ-साथ कई ईसाई स्काउट समूह, शिक्षक, स्थानीय संगठन, सिविक ग्रुप, यूनिवर्सिटी, स्कूल, और यहां तक कि कुछ रूढ़िवादी राजनेता भी अब इस नफरत और भेदभाव के खिलाफ खड़े हो रहे हैं.

युवा भी इस लड़ाई में अहम भूमिका निभा रहे हैं. हालांकि वे भी यह मानते हैं कि दक्षिणपंथी विचार युवाओं में तेजी से फैल रहा है. अल्टरनेटिव यूथ सेंटर से जुड़ी सोफी बताती हैं, "एक दिन अपने पुराने स्कूल के पास से गुजरते हुए मैंने कुछ बच्चों को यह कहते सुना कि एक क्लास में सिर्फ ‘शुद्ध जर्मन खून' वाले बच्चे होने चाहिए.”

उन्होंने यह भी कहा, "कई दिन ऐसे होते हैं, जब डेसाउ में लगातार डर का माहौल बना रहता है, खासकर त्योहारों पर जब बहुत लोग खूब शराब पीते हैं.” उनके दोस्त मैक्स ने कहा कि वह सिर्फ उसी इलाके के आस-पास रहते हैं, जहां उनका घर है.

अल्टरनेटिव यूथ की ओर से शहर की नगर परिषद के प्रतिनिधि, पॉल नोल्टे ने कहा, "ऐसा हम में से कई लोगों ने अनुभव किया है. उन्होंने पास खड़े एक टोपी पहने दाढ़ी वाले युवक की ओर इशारा करते हुए कहा, "मुझे और टिम को चाकू से धमकाया गया.”

उनका मानना है कि डेसाउ में और पूरे जर्मनी में हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं. फिर भी, कुछ लोग अब भी उम्मीद में हैं. नोल्टे ने कहा, "डेसाउ में हर व्यक्ति मायने रखता है. यहां सुधार किया जा सकता है.”

नफरत और डर के माहौल के बावजूद, लोग शहर छोड़ना नहीं चाहते हैं क्योंकि डेसाउ, उनका घर है.