नई दिल्ली. पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने सोमवार को केंद्र सरकार पर दमनकारी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों जैसा बनाने का दावा किया था, लेकिन हुआ उसके उलट है. भाजपा छोड़ चुके सिन्हा ने यह टिप्पणी यहां जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बाहर सीएए के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों को संबोधित करते हुए की. उन्होंने यह भी कहा कि जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों पर रविवार को हुए हमले से 'सरकारी गुंडों और सरकारी पुलिस' में कोई भेद नहीं रह गया है. सिन्हा ने पुलिस पर असामाजिक तत्वों का साथ देने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि वह उस पांच सदस्यीय दल में शामिल थे जो प्रतिबंधों के बावजूद चार साल पहले कश्मीर गया था और स्थानीय लोगों व अन्य समूहों से बात करने के बाद केंद्र सरकार के लिए एक रिपोर्ट तैयार की थी. इसमें समस्या के समाधान के लिए बातचीत का प्रस्ताव दिया गया था. उन्होंने कहा, “सरकार में मौजूद लोगों ने कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों जैसा बनाने का दावा किया था. आज पांच महीने बाद कश्मीर भारत के किसी हिस्से जैसा नहीं बना लेकिन बाकी देश कश्मीर जैसा बन गया है.” यह भी पढ़े-जम्मू-कश्मीर: यशवंत सिन्हा को मिली जाने की इजाजत, फारूक अब्दुल्ला सहित बाकि नजरबंद नेताओं से कर सकते हैं मुलाकात
उन्होंने कहा कि अगर कोई शोपियां, बारामुला या पुलवामा जाए तो उसे सुरक्षाबलों की भारी तैनाती दिखेगी और ऐसा ही परिदृश्य दिल्ली का भी हो गया है जहां कालेजों के आसपास भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है.
जेएनयू में हुए हमले के ऊपर सिन्हा ने कहा, ”आप जहां भी देखेंगे दमन चक्र दिखाई पड़ेगा। पहले वह आवाज को दबाने के लिए पुलिस का प्रयोग करते थे लेकिन अब वह गुंडों का भी प्रयोग करने लगे हैं। कल जेएनयू में जो कुछ भी हुआ वह बहुत कुछ यही दिखाता है....सरकारी पुलिस और सरकारी गुंडों का जो फर्क था वो सब खत्म हो गया है. उन्होंने कहा कि पुलिस यहां निर्दोष लोगों की नहीं, गुंडों की सहायता करती है. पूरे देश में यही विचित्र सी स्थिति है.”