यूक्रेनी अनाज पर हटे प्रतिबंध से क्यों खफा हैं कुछ पूर्वी यूरोपीय देश
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

पोलैंड, स्लोवाकिया और हंगरी यूरोपियन यूनियन द्वारा यूक्रेनी अनाज पर लगे व्यापार प्रतिबंध हटाने का विरोध कर रहे हैं. यह सब घरेलू राजनीति की वजह से हो रहा है.हंगरी को छोड़कर, यूरोपीय संघ के पूर्वी सदस्य देश, फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से यूक्रेन के सबसे बड़े समर्थक रहे हैं. हालांकि, अब ना केवल एकजुटता की इस दीवार में दरारें दिख रही हैं, बल्कि यूक्रेन और मध्य व पूर्वी यूरोपमें उसके कई पड़ोसियों के बीच संबंधों में खटास घुल रही है. विवाद का कारण यह है कि यूरोपीय संघ ने पिछले शुक्रवार को यूक्रेनी अनाज और तिलहन पर अपने अस्थायी व्यापार प्रतिबंध हटा दिए. पोलैंड, स्लोवाकिया और हंगरी इस कदम का विरोध कर रहे हैं और आयात प्रतिबंध लागू रखना चाहते हैं. हालांकि ऐसा करने का मतलब यूरोपीय संघ के कानून का उल्लंघन होगा. यूक्रेन ने विश्व व्यापार संगठन में शिकायत दर्ज करके जवाब दिया है.

यूक्रेन के लिए अहम व्यापारिक मार्ग

यूक्रेन अनाज और तिलहन के दुनिया के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. हाल तक, इसका ज्यादातर निर्यात यूरोपीय संघ के बाहर के क्षेत्रों में होता था. लेकिन रूस ने काला सागर के तट पर बंदरगाहों की जो नाकाबंदी की है, उसकी वजह से यूक्रेन अब अपने पारंपरिक निर्यात मार्गों से कट गया है. नतीजा यह है कि वह, पोलैंड, स्लोवाकिया, हंगरी और रोमानिया से होकर जाने वाले दूसरे रास्तों का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर है.

इसे लेकर कई बार समस्याएं भी हुई हैं. सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ पोलैंड जहां अन्य जगहों पर जाने वाला कुछ अनाज पोलैंड के ही बाजार में आ गया. इसकी वजह से अनाज की कीमतें बढ़ गईं और अनाज गोदामों में जगह नहीं बची. कई किसानों के विरोध के बाद, पोलैंड और हंगरी दोनों ने अप्रैल महीने में यूक्रेनी अनाज पर आयात प्रतिबंध लगा दिया. साथ ही यूरोपीय संघ को भी पूरे यूरोपीय क्षेत्र में अस्थायी आयात प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर कर दिया. यह प्रतिबंध 15 सितंबर तक लागू रहा. यूरोपीय संघ प्रतिबंध को दोबारा लागू नहीं करने के अपने फैसले को यूक्रेन के साथ एकजुटता के संकेत के रूप में देखता है. लेकिन यूरोपीय संघ के पूर्वी सदस्य देशों में, यह मुद्दा एक अलग तरह से देखा जा रहा है. ये देश इसे अब घरेलू नीति और ब्रसेल्स के साथ सत्ता संघर्ष का मामला मान रहे हैं.

पोलैंडः अंदरूनी राजनीति का दबाव

पोलैंड की सत्तारूढ़ लॉ एंड जस्टिस (पीआईएस) पार्टी के लिए, यह मुद्दा सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने का एक जरिया है. 15 अक्टूबर को होने वाले चुनाव को कई पर्यवेक्षक निर्णायक मान रहे हैं जिसमें पोलैंड के मतदाता एक नई संसद का चुनाव करेंगे. साल 2015 और 2019 में पीआईएस की पिछली दो चुनावी जीतों में किसानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. लेकिन यारोस्लाव काचिंस्की की पार्टी को पिछले वसंत के मौसम में एक कड़ी चेतावनी तब मिली जब देश भर के उग्र किसान सरकार की कृषि नीति का विरोध करने और पोलिश क्षेत्र में यूक्रेनी अनाज का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए. प्रधानमंत्री मातेउश मोराविएस्की ने अपने कृषि मंत्री को बर्खास्त करके और यूरोपीयन आयोग को प्रतिबंध लगाने के लिए राजी करके इस विरोध का जवाब दिया. यह प्रतिबंध पिछले शुक्रवार को समाप्त हो गया.

चुनाव नजदीक आने के साथ, मोराविएस्की का आगे जोखिम उठाने का इरादा नहीं है जो उनकी पार्टी की चुनाव संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है. यही वजह है कि पोलैंड ने तेजी से अपना एकतरफा आयात प्रतिबंध लागू कर दिया. सरकार पिछले सप्ताह पार्टी नेता काचिंस्की द्वारा तय किए गए नियमों पर चल रही है, जिसमें उन्होंने कहा, "हम युद्ध के दौरान और पुनर्निर्माण के वक्त यूक्रेन का समर्थन करने के लिए तैयार हैं और हम पुनर्निर्माण में भाग लेना चाहते हैं. लेकिन साथ ही, हमें अपने बारे में भी याद रखना चाहिए. अपने नागरिकों, अपनी कृषि और अपने ग्रामीण इलाकों के बारे में. हमारे यूक्रेनी दोस्तों को यह समझना चाहिए.”

फिर भी, अभी भी समझौते की उम्मीद है, पोलैंडका प्रतिबंध आयात से संबंधित है, यूक्रेनी अनाज के वहां से गुजरने से नहीं.

स्लोवाकियाः दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी सुर

स्लोवाकिया में भी 30 सितंबर को होने वाले संसदीय चुनाव पर अनाज विवाद का साया मंडरा रहा है. पड़ोसी देश पोलैंड की तरह यहां भी इस चुनाव को निर्णायक माना जा रहा है. चुनाव बाद बनी गठबंधन सरकार के साढ़े तीन अराजक वर्षों के बाद, स्लोवाकिया में पूर्व प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिट्सो की वापसी हो सकती है. मुख्य रूप से एक सामाजिक लोकतंत्रवादी फिट्सो व्यवहार में एक दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी हैं, जिनका हंगरी के प्रधान मंत्री विक्टर ओर्बान से घनिष्ठ संबंध है.

उन्होंने बार-बार यूक्रेन विरोधी और रूस समर्थक बयान दिए हैं और यूक्रेन के लिए स्लोवाकिया का सैन्य समर्थन को रोकने का वादा किया है. संभव है कि इसने यूक्रेनी अनाज पर आयात प्रतिबंध बनाए रखने के कार्यवाहक सरकार के फैसले में भूमिका निभाई हो.

हंगरीः अलगाव से बाहर निकलने को उत्सुक

हंगरी के प्रधान मंत्री विक्टर ओर्बान ने यूरोपीय संघ के पूर्वी सदस्य देशों और ब्रसेल्स के बीच ‘गंभीर लड़ाई' की भविष्यवाणी की थी. हालांकि यूरोपीय संघ ने उसके पहले ही यूक्रेनी अनाज पर आयात प्रतिबंध हटाने का फैसला कर लिया था. उन्होंने यूरोपीय संघ पर अमेरिकी हितों का प्रतिनिधित्व करने का आरोप लगाया, और यह भी कहा कि यूक्रेनी अनाज वास्तव में ‘एक क्षेत्र से उत्पन्न होने वाला एक वाणिज्यिक उत्पाद है, जो शायद लंबे समय से अमेरिका के हाथों में है.'

ओर्बान इस तरह के विवादित बयानों के साथ सबसे पहले तो अपने घरेलू समर्थकों को निशाना बना रहे हैं, लेकिन यह भी संभावना है कि यूक्रेनी अनाज पर आयात प्रतिबंध को बनाए रखने का हंगरी का निर्णय ब्रसेल्स विरोधी गठबंधन के लिए अपने पूर्व सहयोगियों पर जीत हासिल करने का एक प्रयास भी हो.अपने पुतिन समर्थक और यूक्रेन विरोधी रुख के साथ ओर्बन पिछले 18 महीनों में न केवल चेक गणराज्य और स्लोवाकिया के साथ, बल्कि पोलैंड से भी अलग हो गए हैं और अपनी विदेश नीति के मामले में इस क्षेत्र में काफी हद तक अलग-थलग पड़ गए हैं.

रोमानियाः पक्ष और विपक्ष के बीच उलझा

इन तीन देशों के विपरीत, रोमानिया यूक्रेनी अनाज आयात के विवाद में एक किनारे पर बैठा है. वह यूक्रेनी अनाज पर आयात प्रतिबंध का विस्तार करना चाहता है, लेकिन शुरुआत में केवल 30 दिनों के लिए. रोमानियाई प्रधान मंत्री मार्चेल चोलाकु ने सोमवार को कहा कि उनके देश ने यूक्रेन को एक योजना पेश करने के लिए एक समय सीमा तय की है जो यूक्रेन से अनियंत्रित अनाज निर्यात के खिलाफ रोमानियाई किसानों की रक्षा करेगी. यूक्रेनी कार्य योजना के अलावा, रोमानियाई सरकार अपने किसानों की सुरक्षा के लिए उपयुक्त उपायों पर निर्णय लेना चाहती है.

रोमानिया में साल 2024 के आखिर में संसदीय और राष्ट्रपति चुनाव होने हैं, जिसका मतलब है कि यूक्रेनी अनाज का मुद्दा वहां फिलहाल उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना पोलैंड और स्लोवाकिया में है. हालांकि, धुर दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी अलायंस फॉर द यूनियन ऑफ रोमानियन्स एयूआर पार्टी बढ़त हासिल कर रही है. पार्टी का रुख रूस समर्थक है और राज्य में सभी रोमानियाई लोगों का एकीकरण इसकी नीतियों में से एक है, जिसमें उत्तरी बुकोविना क्षेत्र के लोग भी शामिल हैं, जो यूक्रेन का हिस्सा है.

यूरोपीय आयोग फिलहाल सतर्क

ब्रसेल्स स्थित यूरोपीय आयोग ने फिलहाल अपनी ओर से स्थिति पर नजर रखने और इंतजार करने का फैसला किया है. यूरोपीय आयोग ने कहा है कि वह पोलैंड, हंगरी, स्लोवाकिया और रोमानिया द्वारा उठाए गए कदमों का विश्लेषण करना चाहता है. हालांकि वह यूरोपीय संघ के भीतर व्यापार नीति और आयात प्रतिबंधों के लिए अकेले ही जिम्मेदार है, न कि सदस्य देश व्यक्तिगत स्तर पर. आयोग के प्रवक्ता मिरियम गार्सिया फेरर कहते हैं कि यूरोपीय संघ आयोग को आयात प्रतिबंध की कोई आवश्यकता नहीं दिखती क्योंकि बाजारों में अब कोई दिक्कत नहीं है. उनके मुताबिक, आयोग एक महीने में स्थिति की समीक्षा करना चाहता है. इसके बाद वह पोलैंड, स्लोवाकिया, हंगरी और शायद रोमानिया के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई कर सकता है.

अगर ऐसा होता है, तो ऐसी कार्रवाई पोलैंड और स्लोवाकिया में चुनावों के बाद होगी, क्योंकि यूरोपीय संघ आयोग इन देशों में चुनावी मुद्दे के तौर पर कोई अतिरिक्त चुनावी मुद्दा नहीं देना चाहता.