भारत और बांग्लादेश की सीमा पर भारत क्यों लगा रहा है बाड़?

एक समझौते के अनुसार भारत और बांग्लादेश अपनी सीमा के 150 गज के इर्द गिर्द कोई भी रक्षा ढांचा नहीं बना सकते.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

एक समझौते के अनुसार भारत और बांग्लादेश अपनी सीमा के 150 गज के इर्द गिर्द कोई भी रक्षा ढांचा नहीं बना सकते. यह फैसला कौन करेगा कि रक्षा ढांचा आखिर है क्या?काफी समय से सीमा पर ‘रक्षा ढांचे' पर विवाद के चलते बीते सोमवार नई दिल्ली में भारत में बांग्लादेश के उच्चायुक्त मोहम्मद नूरुल इस्लाम को तलब किया गया. बांग्लादेश और भारत की सीमा पर भारत बाड़ लगा रहा है, जिस पर अभी काम जारी है. इस बाड़ पर बांग्लादेश ने आपत्ति जताई है. औपचारिक तौर पर इस बात का जिक्र करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत ने ‘फेंसिंग' के मुद्दे पर दोनों देशों की शर्तों और प्रोटोकॉल को उल्लंघन नहीं किया है.

विवाद यहां तक कैसे बढ़ा

सीमापार मसलों की विशेषज्ञ और ओ.पी जिंदल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉ. श्रीधरा दत्ता ने डीडब्ल्यू से बातचीत में बताया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर फेंसिंग लगाने की बीएसएफ की कोशिशें भारत और बांग्लादेश के बीच लंबे समय से विवाद का विषय रही हैं, हालांकि अभी इसे ज्यादा गंभीरता से लिया जा रहा है. डॉ दत्ता ने कहा, "ये परेशानियां और आपत्तियां पहले भी मौजूद थीं. दोनों देश लम्बे समय से इस पर बात करते आ रहे हैं. आम लोगों ने भी इसके साथ जीना सीख लिया है. लेकिन फिलहाल दोनों देशों के रिश्तों में खटास के चलते यह मसला तूल पकड़ रहा है.”

असल में बांग्लादेश ने भारत की ‘बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स की गतिविधियों' पर ‘गहरी चिंता' जताते हुए ढाका में भारत के उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को पहले तलब किया था. उन्होंने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा से संबंधित द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन किया है. फिर नई दिल्ली ने नूरुल इस्लाम को इस बात पर बुलावा भेजा.

हाल ही में बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) ने पश्चिम बंगाल के मालदा में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कांटेदार तार की बाड़ के निर्माण में बाधा डालने की कोशिश की थी. घटना का वीडियो फुटेज सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ. बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के गिरने के कुछ दिनों बाद अगस्त 2024 में ऐसी ही एक घटना पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में हुई थी.

बांग्लादेश के साथ भारत की सबसे लम्बी सीमा

भारत और बांग्लादेश के बीच 4,096.7 किलोमीटर की सीमा है. यह सीमा भारत की किसी दूसरे मुल्क की तुलना में सबसे ज्यादा लम्बी सीमा है. मालदा में भी कुछ समय पहले इसी प्रकार की परेशानी आई थी. फिर पिछले हफ्ते बांग्लादेश ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के मेखलीगंज में बाड़ लगाने पर आपत्ति जताई.

10 जनवरी को, मेखलीगंज के गांव वालों ने दहाग्राम-अंगरपोटा के बांग्लादेशी एन्क्लेव की सीमा के कुछ हिस्सों में बाड़ लगाना शुरू कर दी. इसे बनाने में लोगों ने बीएसएफ की मदद भी ली. तब बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड ने उन्हें चार फुट ऊंची कांटेदार तार की बाड़ लगाने से रोकने का प्रयास किया. भारत की तरफ गांव वालों का कहना था कि बांग्लादेश के मवेशी वहां भटकते हुए आ जाते हैं और उनकी फसल बर्बाद कर देते हैं, इसलिए बाड़ लगाई गई.

पूरा विवाद है सीमा पर ‘रक्षा ढांचों के निर्माण' को लेकर

1975 में भारत और बांग्लादेश के बीच हुए एक समझौते के अनुसार सीमा के 150 गज के भीतर दोनों देशों में से कोई भी डिफेन्स इंफ्रास्ट्रक्चर यानी कि रक्षा ढांचा नहीं बना सकता.

हालांकि भारत की तरफ से अलग अलग इलाकों में बाड़ लगाने का काम जारी है. डॉ दत्ता बताती हैं, "भारत इन्हें रक्षा ढांचा नहीं मानता. भारत कहता है कि बाड़ सीमा पार अपराधों से बचने के लिए है और मवेशी, जो भटकते हुए चरने आ जाते हैं, उन्हें भी यह बाड़ काबू में रखती है.”

श्रीधरा आगे बताती हैं कि भारत और बांग्लादेश की सीमा 1971 में हुए विभाजन के कारण काफी पेचीदा रही है. "कई गांव सीमा से होकर गुजरते हैं. कहीं कहीं तो घरों के किचन सीमा पर हैं. कहीं फुटबॉल कोर्ट का एक गोल पोस्ट भारत में तो एक बांग्लादेश में है.”

उन्होंने आगे बताया कि बांग्लादेश में आबादी बहुत घनी है और वह एक कृषि आधारित देश है. इस वजह से गांव वालों और मवेशियों का आना-जाना लगा रहता है. लगभग 2200 किलोमीटर की सीमा में बाड़ के अंदर ही बांग्लादेश के कई गांव बसे हैं.

सीमा पर बसे गांव को ऐसे संभाल रहे दोनों देश

अगर कोई गांव सीमा पर ही है तो फेंसिंग लाइन में कुछ दरवाजे बना दिए गए हैं ताकि लोग आराम से आ-जा सकें. इन दरवाजों के खुलने और बंद होने का अपना समय है. हालांकि आपातकालीन स्थिति में बीएसएफ को सभी दरवाजों को एक साथ और जल्द खोलने के आदेश हैं.

अब बांग्लादेश को आपत्ति ये है कि जब 1975 के समझौते में साफ तौर पर किसी भी तरह का रक्षा निर्माण करना प्रतिबंधित है तो फिर भारत इसका उल्लंघन क्यों कर रहा है. दूसरा तर्क है कि इससे गांव वालों को रोजमर्रा के कामों और आने जाने में दिक्कत होती है.

भारत की स्मार्ट फेंसिंग से भी है परेशानी

बांग्लादेश को केवल बाड़ से ही नहीं बल्कि स्मार्ट फेंसिंग से भी दिक्कत है, जो लाजमी है. स्मार्ट फेंसिंग में बाड़ बनती है और निगरानी के लिए उस पर लगते हैं आधुनिक कैमरे और बाकी आधुनिक उपकरण. बांग्लादेश का मानना है कि इन कैमरों के जरिए भारत उनके गांव पर भी नजर रख सकता है.

श्रीधरा ने बताया, "बांग्लादेश में कुछ गांव वालों ने कहा है कि भारत ने सीमा पर पहले ही फ्लैश लाइट लगा दी हैं जिससे बांग्लादेश वाले हिस्से में आगे तक का हिस्सा नजर आता है.” जबकि भारत के अनुसार यह फेंसिंग सीमा पार अपराधों पर नजर रखने के लिए बनाई गई है और इस पर अभी भी बातचीत जारी है. दोनों पक्ष स्मार्ट फेंसिंग के निर्माण पर 5 सालों से चर्चा कर रहे हैं.

भारत ने अब तक इतनी बाड़ लगा दी है

भारत के गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत-बांग्लादेश सीमा पर, पश्चिम बंगाल के साथ साथ सभी पूर्वी राज्यों को कवर करते हुए, कुल 4,156 किलोमीटर में से 3,141 किलोमीटर पर बाड़ लगा दी गई है.

2023 में असम में अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि भारत सीमा पर बाड़ नहीं लगा पा रहा है क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार उसका साथ नहीं दे रही है.

पश्चिम बंगाल की बांग्लादेश के साथ 2,216.7 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिसके 81.5 प्रतिशत हिस्से पर 2023 तक बाड़ लगाई जा चुकी थी. दत्ता कहती हैं, "ये सब काफी पहले से होता आ रहा है, इसलिए सीमा पर इतनी बाड़ पहले ही बन चुकी है.”

Share Now

\