कांग्रेस को शायद इस वजह से नहीं मिल रहा अध्यक्ष पद के लिए कोई काबिल नेता!

कांग्रेस का नया अध्यक्ष कौन होगा, इस पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है. कांग्रेस के शीर्ष नेताओं द्वारा दर्जनों बैठके करने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका है. कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान देने के लिए अभी भी माथापच्ची जारी है. वहीं इस बारे में अटकलों का बाजार भी काफी गर्म है.

सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मनमोहन सिंह (Photo Credits: IANS)

नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) का नया अध्यक्ष (President) कौन होगा, इस पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है. कांग्रेस के शीर्ष नेताओं द्वारा दर्जनों बैठके करने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका है. कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान देने के लिए अभी भी माथापच्ची जारी है. वहीं इस बारे में अटकलों का बाजार भी काफी गर्म है. हर दिन मीडिया के जरिए कांग्रेस मुखिया के पद को लेकर अलग-अलग बाते सामने आ रही है. इन सबके बीच हम आपको एक ऐसी सच्चाई से रूबरू करवाना चाहते है जो शायद कांग्रेस और उसके नए अध्यक्ष के बीच का रोड़ा बन रही है.

खबरों की मानें तो देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी की जिम्मेदारी देने के लिए अपने कई नेताओं को काबिल समझा, लेकिन इतने महत्वपूर्ण पद को संभालने से सभी ने मना कर दिया. हालत ये है कि मौजूदा समय में कांग्रेस का नेतृत्व कौन कर रहा है, यह बात साफ तौर पर किसी को नही पता. कांग्रेस की इस कमजोर कड़ी को विरोधी लगातार मुद्दा बनाकर पूरी पार्टी को आड़े-हाथों ले रहे है.

स्वतंत्रता सेनानी और कट्टर कांग्रेसी नेता सीताराम केसरी सितंबर 1996 से मार्च 1998 तक पार्टी अध्यक्ष रहे. वे ऐसे उन कुछ नेताओं में शामिल है जिन्हें कांग्रेस अध्यक्ष पद गांधी परिवार का बाहर होने के बाद भी दिया गया था. हालांकि सीताराम केसरी का कार्यकाल पूरा नहीं हो पाया था. अपने करीब डेढ़ साल के कार्यकाल में उन्हें पार्टी के भीतर ही कई समस्याएं झेलनी पड़ी थी.

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बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक दलित नेता केसरी को कांग्रेस के सभी नेताओं ने स्वीकार नहीं किया था. कहा जाता है कि उत्तर भारत के कांग्रेस के उच्च जाति के कई नेताओं ने उन्हें अपना नेता माना ही नहीं, क्योंकि केसरी पिछड़ी जाति के थे. साथ ही दक्षिण भारत के कांग्रेसी नेता भी उन्हें पसंद नहीं करते थे. यहीं वजह रही की उन्हें तख्तापलट के साथ-साथ अपमानित करके कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने हटाया था. अध्यक्ष पद से हटाने के बाद आनन-फानन में केसरी की नेमप्लेट कांग्रेस कार्यालय से हटाकर कूड़ेदान में फेंक दी गई थी और कुछ यूथ कांग्रेस के सदस्यों ने उनकी धोती खींचने की भी कोशिश की थी.

आपको बता दें कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निधन के बाद उनके बेटे राजीव गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया. राजीव की हत्या के बाद पीवी नरसिम्हाराव कांग्रेस अध्यक्ष बने और बाद में प्रधानमंत्री भी बने. लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान ही सोनिया गांधी की एंट्री हो चुकी थी. उनके बाद सीताराम केसरी को अध्यक्ष बनाया गया था. और उनके बाद 19 साल सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष रहीं और फिर यह जिम्मेदारी राहुल गांधी को दी गई.

केंद्र की सत्तारूढ़ और दूसरी सबसे पुरानी पार्टी बीजेपी ने कई बार आरोप लगाया कि जब-जब भी गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति पार्टी अध्यक्ष बना है और खासकर ऐसा व्यक्ति जो गांधी परिवार के इशारों पर न चले, तो गांधी परिवार के लोग और कांग्रेस में उनके भक्त उसे बर्दाश्त नहीं कर पाते. इसके उदाहरण के तौर पर पीवी नरसिम्हाराव और सीताराम केसरी का नाम भी पेश किया जाता हैं. दरअसल पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव के निधन के बाद उनके शव को कांग्रेस कार्यालय में नहीं रखा गया था. बल्कि वह ऐसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री हैं, जिनका अंतिम संस्कार देश की राजधानी दिल्ली में नहीं किया गया. कहा जाता है कि सीताराम केसरी जैसा ही खराब व्यवहार उनके साथ भी कांग्रेस ने किया था.

पीएम मोदी ने छत्तीसगढ़ में एक रैली के दौरान आरोप लगाया था कि केसरी को कांग्रेस प्रमुख के तौर पर कार्यकाल पूरा करने की मंजूरी नहीं दी गई और उन्हें सोनिया गांधी के लिये पद छोड़ने पर मजबूर किया गया. वहीं बीजेपी अध्यक्ष और मौजूदा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पीवी नरसिम्हा राव और सीताराम केसरी का जिक्र करते हुए कटाक्ष किया था कि एक परिवार से बाहर के जिन दो सदस्यों ने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में काम किया, उनके साथ बेहद खराब व्यवहार किया गया. उन्होंने कहा कि नरसिंहा राव के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय के भीतर रखने की अनुमति नहीं दी गई जबकि दिग्गज नेता सीताराम केसरी के साथ किस के वफादार गुंडों ने धक्का मुक्की की, उसके बारे में सभी जानते हैं.

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