Suvendu Adhikari Wins Nandigram: नंदीग्राम में आखिरकार खिला कमल, शुभेंदु अधिकारी से हारीं ममता बनर्जी, कहा- मैं कोर्ट जाऊंगी
ममता बनर्जी व शुभेंदु अधिकारी (Photo Credits: Facebook)

Nandigram Assembly Seat Result 2021: पश्चिम बंगाल (West Bengal) के नंदीग्राम विधानसभा सीट से बड़ी खबर सामने आ रही है. नंदीग्राम में टीएमसी (TMC) प्रमुख और सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की हार हुई है. उन्हें बीजेपी (BJP) के शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने करीब दो हजार मतों से मात दे दी है. हालांकि मतगणना के सभी चरणों में दोनों दिग्गज नेताओं के बीच कड़ी टक्कर हुई. ममता बनर्जी ने कहा "मैं जनादेश को स्वीकार करती हूं. लेकिन मैं न्यायालय जाऊंगी क्योंकि मुझे जानकारी है कि परिणामों की घोषणा के बाद कुछ हेरफेर की गई और मैं उसका खुलासा करूंगी." Exit Poll: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के फिर से लौटने का अनुमान, 53% जनता सरकार बदलना नहीं चाहती

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा “नंदीग्राम के बारे में चिंता मत करो. नंदीग्राम के लोग जो भी जनादेश देंगे, मैं उसे स्वीकार करती हूं. मुझे कोई आपत्ति नहीं है. हमने 221 से अधिक सीटें जीतीं और बीजेपी चुनाव हार गई है. बीजेपी ने गंदी राजनीति की है. हमें चुनाव आयोग के डर का सामना करना पड़ा.”

मतगणना के ताजा रूझानों के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में सत्ता में फिर से लौटने की ओर उन्मुख है. चुनाव आयोग की वेबसाइट से हासिल ताजा जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस 14 सीटें जीत चुकी है और 196 सीटों पर आगे चल रही है जबकि बीजेपी को 80 सीटों पर बढ़त है. विधानसभा की 292 सीटों के लिए चुनाव हुए थे.

बीजेपी ने पहले ही दावा किया था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम में चुनाव हार जाएगी. नंदीग्राम विधानसभा सीट पश्चिम बंगाल के उन 30 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है, जहां विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 1 अप्रैल को मतदान हुआ था.

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के साथ कड़े मुकाबले के बाद तृणमूल कांग्रेस के पास ही सत्ता बरकरार रहने के आसार नजर आने के उपरांत शिवसेना के सांसद संजय राउत ने रविवार को ममता बनर्जी को ‘बंगाल की बाघिन’ बताते हुए उनकी प्रशंसा की. महाराष्ट्र में कांग्रेस एवं एनसीपी के साथ गठबंधन में सत्तासीन में शिवसेना ने पश्चिम बंगाल चुनाव नहीं लड़ा था बल्कि उसने बनर्जी को अपना समर्थन दिया था.