WB Assembly Elections 2021: क्या बंगाल में ममता बनर्जी का किला ढहा पाएंगे पीएम मोदी और अमित शाह?
पश्चिम बंगाल पूरी तरह चुनावी रंग में रंग चुका है. पीएम मोदी, अमित शाह से लेकर सीएम ममता बनर्जी और अन्य पार्टियों के नेताओं द्वारा राज्य में ताबड़तोड़ रैलियां और जनसभाएं की जा रही हैं. अब तक सामने आए तमाम ओपिनियन पोल्स पर नजर डालें तो यह स्पष्ट है कि बंगाल में मुख्य मुकाबला सत्ताधारी टीएमसी और बीजेपी के बीच है.
West Bengal Assembly Elections 2021: पश्चिम बंगाल पूरी तरह चुनावी रंग में रंग चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और अन्य पार्टियों के नेताओं द्वारा राज्य में ताबड़तोड़ रैलियां और जनसभाएं की जा रही हैं. चुनाव प्रचार के शोरगुल के बीच नेताओं की बयानबाजी भी बंगाल में चुनावी तापमान बताने के लिए काफी है. बहरहाल, अब तक सामने आए तमाम ओपिनियन पोल्स (Opinion Polls) पर नजर डालें तो यह स्पष्ट है कि बंगाल में मुख्य मुकाबला सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच है. पॉलिटिकल पंडित, राजनीतिक टिप्पणीकार और तमाम सर्वे भी यही दावा कर रहे हैं कि बंगाल में बीजेपी और टीएमसी के बीच कड़ी टक्कर है.
बंगाल में विधानसभा की कुल 294 सीटें हैं और इस तरह राज्य में बहुमत का जादुई आंकड़ा 148 है. बहरहाल, पिछले विधानसभा चुनाव में महज तीन सीटें जीतने वाली बीजेपी इस बार बंगाल में परिवर्तन का दावा कर रही है. आइए जानते हैं कि आत्मविश्वास से भरपूर बीजेपी इस चुनाव में किस आधार पर अपनी जीत का दावा कर रही है? यह भी पढ़ें- WB Assembly Elections 2021: बीजेपी ने जारी की 63 उम्मीदवारों की लिस्ट, केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो इस सीट से लड़ेंगे चुनाव.
दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 18 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि टीएमसी को 22 सीटें मिली थी. इस चुनाव में बीजेपी को करीब 41 फीसदी वोट मिले थे और इसी आधार पर वह इस बार के बंगाल में चुनाव में जोर-शोर अपनी दावेदारी कर रही है. आइए जानते हैं कि बीजेपी कैसे इस बार बंगाल का चुनावी मैदान फतह कर सकती है?
1. 2019 के लोकसभा चुनावों के वोट शेयर को बरकरार रखकर
ऐसा देखा गया है कि लोकसभा चुनावों में बीजेपी को जो वोट प्रतिशत मिलते हैं विधानसभा चुनावों में वह उसे बरकरार नहीं रख पाती. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक-दूसरे से अलग होते हैं और इन चुनावों में मुद्दे भी अलग-अलग होते हैं. ऐसे में अगर बीजेपी को बंगाल में ममता का किला ढहाना है तो उसे अपना यह वोट शेयर बरकरार रखना ही होगा.
2. लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन और एआईएमआईएम टीएमसी को पहुंचाएगी नुकसान
बंगाल में अल्पसंख्यकों की आबादी करीब 27 फीसदी है. इन 27 फीसदी में से 65 फीसदी वोटर ममता को सपोर्ट करते हैं. बहरहाल, इस विधानसभा चुनाव में लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन और एआईएमआईएम स्पष्ट तौर पर टीएमसी को नुकसान पहुंचाएगी और इसका फायदा कहीं न कहीं बीजेपी को भी प्राप्त होगा.
3. गरीब और निम्न नर्ग के वोटरों को लुभाकर
पीएम आवास योजना, उज्जवला योजना, आयुष्मान भारत जैसे अन्य केंद्रीय योजनाओं के जरिए बीजेपी बंगाल के गरीब और निम्न वर्ग के वोटरों को लुभा सकती है. अपनी चुनावी रैलियों में पीएम मोदी और अन्य बीजेपी नेता बंगाल में केंद्रीय योजनाओं को लागू न किए जाने को लेकर लगातार ममता बनर्जी की सरकार पर हमला बोल रहे हैं.
4. कंफ्यूजड वोटरों को अपने पाले में लाकर
हर चुनाव में 12-15 फीसदी वोटर ऐसे होते हैं जो अंतिम वक्त में अपना वोट तय करते हैं. इन वोटरों के लिए परसेप्शन बहुत महत्वपूर्ण होता है कि चुनाव में कौन आगे चल रहा है, कौन बेहतर कैंपेन कर रहा है. वहीं, सी-वोटर एक सर्वे के मुताबिक, बीजेपी ऐसे वोटरों को अपने पाले में लाने में कामयाब रहती है.
5. बाहरी वोटरों के ज्यादातर वोट पाकर
बंगाल में टीएमसी ने 'बाहरी बनाम बंगाली' का कैंपेन लॉन्च कर रखा है. जबकि बंगाल की 15 प्रतिशत आबादी बाहरी है जो दूसरे राज्यों से आकर राज्य में बसी है. बीजेपी को इन वोटरों को अपने खेमे में लाना होगा. बीजेपी को यह सुनिश्चित करना होगा कि दूसरे राज्यों से आकर बंगाल में बसे लोगों के वोट किसी और को न जाए.
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में मतदान होने जा रहा है. पहले चरण के लिए 27 मार्च, दूसरे चरण के लिए 1 अप्रैल , तीसरे चरण के लिए 6 अप्रैल, चौथे चरण के लिए 10 अप्रैल, पांचवे चरण के लिए 17 अप्रैल, छठे चरण के लिए 22 अप्रैल, सातवें चरण के लिए 26 अप्रैल और आठवे व अंतिम चरण के लिए 29 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. वोटों की गिनती 2 मई को होगी और नतीजे भी इसी दिन सामने आएंगे.