योगी सरकार ने शिल्पियों के हुनर को जीआई टैग से दी अंतर्राष्ट्रीय पहचान

योगी सरकार ने देश के शिल्पियों के हुनर को जीआई उत्पाद के रूप में विश्व में पहचान दिलाई है. जिससे कोरोना काल में भी जीआई उत्पादों पर लोगों का भरोसा रहा और मांग बनी रही. लॉकडाउन में जब दुकानें बंद रही तब भी इस उत्पाद की बिक्री देश और विदेशों में ऑनलाइन माध्यम से होती रही.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Photo Credits: PTI)

वाराणसी, 23 जून: योगी सरकार ने देश के शिल्पियों के हुनर को जीआई उत्पाद के रूप में विश्व में पहचान दिलाई है. जिससे कोरोना काल में भी जीआई उत्पादों पर लोगों का भरोसा रहा और मांग बनी रही. लॉकडाउन में जब दुकानें बंद रही तब भी इस उत्पाद की बिक्री देश और विदेशों में ऑनलाइन माध्यम से होती रही. वाराणसी के एक उद्यमी ने योगी सरकार के स्टार्टअप योजना का लाभ उठाते हुए कोविड काल में जीआई उत्पादों का लाखों का क़ारोबार कर लिया है. आप को जानकर ताज़्जुब होगा की ये कोराबार सिर्फ़ ऑनलाइन हुआ है. प्रतीक बी सिंह नाम के इस युवा उद्यमी के वेब साइट पर सिर्फ जीआई उत्पाद ही बिकते है. लेकिन अब प्रतीक ने कुछ ओडीओपी उत्पादों को भी ऑनलाइन प्लेटफार्म देना शुरू किया है.

आईएएस बनने की चाह रखने वाले इस युवा को स्टार्टअप योजना ने आसमान में उड़ने की राह दिखा दी है. अब प्रतीक उन हुनरमंद लोगों को भी प्लेटफार्म दे रहे हैं, जिन्होंने अपने हुनर का लोहा पूरी दुनिया से मनवाया है. 370 जीआई उत्पादों में से देश के 299 जीआई उत्पादों (जिनमे से उत्तर प्रदेश से अकेले 27 जीआई उत्पाद है) को एक जग़ह शॉपिंगकार्ट 24 नामक इ -कॉमर्स की साईट पर लाकर भारत के हस्तकला शिल्पियों की हुनर को पूरे विश्व में पहुँचा रहे है. खाने, सजाने, संगीत, खिलौने, पहनने से लेकर हर रोज़ इस्तेमाल होने वाली जीआई उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री देश और विदेशो में खूब हो रही है. वाराणसी का लकड़ी का ख़िलौना, बनारसी साड़ी, गुलाबी मीनाकारी, पंजादारी, ज़री जरदोजी , सिद्धार्थ नगर का काला नमक चावल, गोरखपुर का टेराकोटा, गाज़ीपुर की वाल हैंगिंग आदि उत्पादों की अमेरिका समेत कई देशों में भारी मांग है। जीआई उत्पाद की ख़ास बात ये होती कि ये सभी उत्पाद हैंडलूम व हैंडीक्राफ्ट उत्पाद होते हैं.

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प्रतीक ने बताया कि उन्होंने 2016 में अपनी स्टार्टअप कंपनी शुरु की थी. उसके बाद जीआई उत्पादों को धीरे-धीरे ऑनलाइन प्लेटफार्म पर लाना शुरू किया. कोरोना काल में लॉकडाउन ने जब दुकानें खुलना बंद हुई तो प्रतीक ने ऑनलाइन बाज़ार का दरवाजा दुनिया के लिए खोल दिया. प्रतीक अप्रैल से अब तक करीब 7 लाख का जीआई उत्पाद देश और विदेशों में बेच चुके हैं. प्रतीक ने बताया कि पहले काशी के जीआई टैगिंग प्राप्त उत्पादों को ऑनलाइन बेचना शुरू किया. फिर वो यूपी के 27 प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर लेकर आए. इनकी कंपनी से डिपार्टमेंट ऑफ़ प्रमोशन ऑफ़ इंडस्ट्रीज़ एंड इंटरनल ट्रेड( DPIIT ) से मान्यता प्राप्त है. जिससे ई-कॉमर्स में मदद मिलती है. अपने कस्टमर के लिए ये कंपनी हुनरमंद कलाकारों के लाइव प्रदर्शन भी करवाती है. जिसे बाद में सोशल मीडिया के माध्यम से उनकी कला को और लोगों तक पहुंचने में भी मदद मिलती है. शिल्पियों को ट्रिपल "ई" एजुकेट ,एम्पॉवर,एनरिच के फॉर्मूले से समृद्ध करते है. जीआई ( जियोग्राफिकल इंडिकेशन) जीआई उत्पाद यानी भौगोलिक संकेतक या जियोग्राफिकल इंडिकेशन ऐसे उत्पादों होते है जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है. इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है. इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का एहसास देता है.

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