UP में अभी भी हिट है योगी आदित्यनाथ: 84% जनता योगी सरकार के कामकाज से खुश, विरोधियों को झटका

उत्तर प्रदेश में भले ही विपक्षी दल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामकाज पर सवाल उठा रहे हो, लेकिन इससे उलट हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. हाल ही में हुए एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि उत्तर प्रदेश की आधी से कही ज्यादा आबादी योगी सरकार के कामकाज से संतुष्ट है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Photo Credits: PTI)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में भले ही विपक्षी दल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के कामकाज पर सवाल उठा रहे हो, लेकिन इससे उलट हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. हाल ही में हुए एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि उत्तर प्रदेश की आधी से कही ज्यादा आबादी योगी सरकार के कामकाज से संतुष्ट है. जिसका फायदा बीजेपी (BJP) को कुछ महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में भी मिलेगा.

लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की जनता का मूड भांपने के लिए इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट्स ने एक सर्वे किया. इस सर्वे में जो खुलासे हुए वो एसपी-बीएसपी गठबंधन और कांग्रेस के लिए किसी झटके से कम नही थे. सर्वे में दावा किया गया है कि सीएम योगी आदित्यनाथ के अब तक के कामकाज से 57 फीसदी जनता संतुष्ट है.

सर्वे के मुताबिक, उत्तर प्रदेश कि 57 फीसदी जनता योगी आदित्यनाथ सरकार के कामकाज से बहुत संतुष्ट और संतुष्ट है, जबकि सिर्फ 15 फीसदी ने ही योगी सरकार से निराशा अथवा बहुत निराशा जताई है. जबकि 27 फीसदी आबादी ऐसी है जो न तो योगी सरकार से संतुष्ट है और न ही निराश है.

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सर्वे के मुताबिक, मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ के कामकाज से प्रदेश की 17 फीसदी आबादी बहुत संतुष्ट है, 40 फीसदी लोग ऐसे हैं जो बहुत तो नहीं, लेकिन सरकार से संतुष्ट जरूर हैं. इसके अलावा 12 फीसदी लोग ऐसे भी है जो योगी सरकार के कामकाज से नाखुश है. जबकि तीन फीसदी लोगों ने योगी सरकार के कामकाज पर बहुत ज्यादा असंतोष जाहिर किया है.

जानकारी के मुताबिक यह सर्वे 28 दिसंबर से 8 जनवरी के बीच 20 लोकसभा क्षेत्रों में 2478 लोगों पर किया गया. लेकिन आगामी लोकसभा चुनावों से पहले यह सर्वे बीजेपी के लिए अच्छी खबर है. हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों में बीजेपी की शिकस्त हुई थी. इन चुनावों के लिए योगी आदित्यनाथ ने जमकर प्रचार किया था. जिसके बाद से बीजेपी के लिए संकटमोचन बने योगी के खिलाफ पार्टी के अंदर ही आवाजे उठनी शुरू हो गई थी.

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