UP Elections 2022: गैंगस्टर की उम्मीदवारी पर घिरी सपा, सुप्रीम कोर्ट में पार्टी की मान्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका दायर

अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में समाजवादी पार्टी (सपा) की मान्यता खत्म करने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में कहा गया है कि समाजवादी पार्टी ने कैराना के गैंगस्टर नाहिद हसन को चुनावी टिकट दिया है

सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: Wikimedia Commons)

UP Assembly Elections 2022: अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में समाजवादी पार्टी (SP) की मान्यता खत्म करने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में कहा गया है कि समाजवादी पार्टी ने कैराना के गैंगस्टर नाहिद हसन को चुनावी टिकट दिया है, मगर पार्टी ने नाहिद के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी को सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट मीडिया या सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी साझा नहीं की है.

याचिका में कहा गया है कि चुनाव में उम्मीदवार तय करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सपा ने उल्लंघन किया है और इसके लिए उसकी मान्यता खत्म की जाए. कैराना से दो बार विधायक रह चुके नाहिद हसन पर पिछले साल 13 फरवरी को शामली पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट लगाया था.  याचिका में कहा गया है कि उसके (हसन) के खिलाफ कई आपराधिक मामले हैं और कैराना से हिंदू पलायन के पीछे वही मास्टरमाइंड है. यह भी पढ़े: Uttar Pradesh Assembly Elections 2022: समाजवादी पार्टी-RLD ने जारी की पहली लिस्ट, जानें वो दिग्गज जिन्हें मिला टिकट

उसके खिलाफ धोखाधड़ी और जबरन वसूली सहित कई आपराधिक मामले हैं और स्पेशल एमएलए-एमपी कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित किया है. `दलील में तर्क दिया गया कि अपराधियों को चुनाव लड़ने, विधायक बनने की अनुमति देने के परिणाम लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के लिए बेहद गंभीर हैं.

याचिका में भारत के चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है कि प्रत्येक राजनीतिक दल प्रत्येक उम्मीदवार के आपराधिक मामलों के विवरण के साथ-साथ इस तरह के चयन के कारण को अपनी आधिकारिक वेबसाइट के होमपेज पर 48 घंटों के भीतर बोल्ड अक्षरों में प्रकाशित करे. शीर्ष अदालत के 25 सितंबर, 2018 और 2 फरवरी, 2020 को पारित आदेश का हवाला दिया गया है.

याचिका में कहा गया है कि मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल भी खूंखार अपराधियों को टिकट दे रहे हैं और इसलिए मतदाताओं को अपना वोट स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से डालना मुश्किल लगता है.

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