संशोधित मोटर वाहन अधिनियम के खिलाफ बुलाई गई ट्रांसपोर्ट हड़ताल से दिल्ली-NCR में जनजीवन प्रभावित
संशोधित मोटर वाहन अधिनियम के खिलाफ गुरुवार को बुलाई गई ट्रांसपोर्ट हड़ताल से दिल्ली-एनसीआर में जनजीवन प्रभावित रहा. इस दौरान कैब, ऑटो-रिक्शा और निजी बसें सड़को से नदारद रहीं. यूनियन फ्रंट ऑफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने संशोधित मोटर वाहन अधिनियम के तहत किए गए कड़े प्रावधानों के खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया था.
नई दिल्ली : संशोधित मोटर वाहन अधिनियम (Amended Motor Vehicle Act) के खिलाफ गुरुवार को बुलाई गई ट्रांसपोर्ट हड़ताल से दिल्ली-एनसीआर में जनजीवन प्रभावित रहा. इस दौरान कैब, ऑटो-रिक्शा और निजी बसें सड़को से नदारद रहीं. यूनियन फ्रंट ऑफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (यूएफटीए) ने संशोधित मोटर वाहन अधिनियम के तहत किए गए कड़े प्रावधानों के खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया था.
यूनियन फ्रंट ऑफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में 50 से अधिक यूनियनों का एक संयुक्त निकाय है. हड़ताल के चलते आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. ऑफिस जाने वाले व्यक्तियों के अलावा गुरुवार को अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने वाले अभिभावकों को भी दिक्कते आईं. यहां तक की हड़ताल के चलते दिल्ली के कई स्कूलों को बंद कर दिया गया.
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कई अभिभावकों को स्कूल की तरफ से एसएमएस भेज कर बताया गया कि हड़ताल के चलते विद्यालय बंद रहेंगे. जीडी सलवान पब्लिक स्कूल ने अपने संदेश में कहा, "प्रिय अभिभावक दिल्ली-एनसीआर में यूनियन फ्रंट ऑफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के बैनर तले निजी ट्रांसपोर्टरों द्वारा बुलाई गई हड़ताल के कारण नर्सरी, केजी और 10वीं की कक्षाओं के छात्रों के लिए स्कूल 19/09/2019 को बंद रहेगा."
यूनियन फ्रंट ऑफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने हड़ताल का जिम्मेदार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की केंद्र सरकार और दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार को ठहराया है. यूनियन फ्रंट ऑफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के महासचिव श्यामलाल गोला ने कहा, "हम पिछले 15 दिनों से केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों से नए मोटर वाहन अधिनियम से संबंधित हमारी शिकायतों के निवारण की मांग कर रहे थे, लेकिन कोई समाधान नजर नहीं आ रहा था, जिससे हमें एक दिन की हड़ताल के लिए मजबूर होना पड़ा."